शराबबंदी वाले बिहार में ‘जहर’ मिली शराब को पीकर अबतक 66 लोगों की मौत हो चुकी है. इस जहरीली दारू के शिकार छपरा-सीवान और बेगूसराय के लोग हुए हैं. वे लोग जो मजदूरी करके जीते हैं और जिनकी शाम की बैठकी 20 रुपये की कच्ची शराब पर जमती है. इस जहरीली शराब को पीकर मरने वाले लोग बेहद गरीब हैं. इतने गरीब कि इनकी मौत के बाद इनका अंतिम संस्कार करने के लिए भी परिवारों को कर्ज लेना पड़ रहा है
बिहार में शराबबंदी है, निश्चित रूप से शराब पीकर मरने वालों ने कानून के खिलाफ काम किया था. लेकिन ये शराब तो उन्हें उसी ‘इकोसिस्टम’ ने मुहैया कराया जहां की पुलिस और पूरी प्रशासनिक मशीनरी राज्य सरकार की है.
ये ‘श्रद्धांजलियां’ हैं सियासत का ‘बेशरम रंग’
ये परिवार अपने आंसू पोछ पाते इससे पहले ही बिहार का राजनीतिक नेतृत्व इन मरने वालों को जो ‘श्रद्धांजलियां’ दे रहा है, वहीं सियासत से निकला बयानों का बेशरम रंग है जिसकी शुरुआत होती है ‘पियोगे तो मरोगे से’.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू के हार के झटके से उबरे भी नहीं थे कि शराबकांड बिहार की सियासत में कोहराम मचाने आ गया.
14 दिसंबर को नीतीश विधानसभा में पहुंचे तो बीजेपी ने जहरीली शराब से हुई मौतों का मुद्दा जोर-शोर से उठा दिया, तब तक बिहार में जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा 24 हो चुका था. BJP ने इन मौतों के लिए नीतीश को जिम्मेदार ठहराया और नारेबाजी की.
24 मौतें और नीतीश का ‘ए…क्या हो गया’
इस दौरान नीतीश ने अपना आपा खो दिया और बीजेपी विधायकों पर बरस पड़े. नीतीश ने कहा, “क्या हो गया…शराबबंदी के वक्त सब साथ था…ए चुप रहो’. नीतीश ने सभापति की तरफ इशारा करते हुए कहा ‘भगाओ सबको’…’शराबी हो गए हो तुम लोग’ 17 सेकेंड के क्लिप में नीतीश का रौद्र रूप देखकर लोग चौक गए.
विधानसभा में निश्चित रूप से शराबबंदी पर कम और प्वाइंट स्कोरिंग पर ज्यादा जोर दिया जा रहा था.
नीतीश के सहयोगी रहे और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि ऐसा बयान देकर नीतीश बिहार को शर्मसार कर रहे हैं. नीतीश जी का समय चला गया है वे बीजेपी के लोगों के बारे में तुम-ताम जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं. धमकी दे रहे हैं कि बर्बाद हो जाओगे. बीजेपी को कोई बर्बाद नहीं कर सकता है.
नीतीश के बयान का आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने भी विरोध किया. उन्होंने साफ कहा कि किसी भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ पर प्रतिबंध लगाना मानसिक दिवालियापन है. आप प्रतिबंध नहीं लगा सकते. जागरुकता फैलाइए
सुधाकर सिंह भले शराबबंदी के विरोध में थे. लेकिन तेजस्वी ने नीतीश का साथ दिया और कहा कि शराब की जो ये लोग बात कर रहे थे, शपथ तो इन लोग ने भी ली थी, आज बीजेपी को जहरीली शराब से मौत नजर आ रही है, बीजेपी 10 साल से ज्यादा बिहार में काबिज थी तो मौत उन्हें आज याद आ रही है
शराब पीओगे तो मरोगे ही’
बिहार में शराब से मौत के आंकड़े बढ़ रहे थे इधर नीतीश का फायर पावर भी बढ़ा हुआ था. अब तक जहरीली शराब से 40 लोगों की मौत हो चुकी थी. नीतीश कुमार ने कहा कि जो पीएगा वो मरेगा. नीतीश ने कहा कि एमपी शराब से होने वाली मौतों में नंबर वन है. यूपी में मौतें हो रही है. वहां की चर्चा नहीं होती है. पीएगा…गड़बड़ पीएगा वो मरेगा. नीतीश ने कहा कि 4 महीने जब वे बीजेपी के साथ थे तब तक सब ठीक था. अगर कोई जहरीली शराब से मरता है तो ये तो गंदी चीज हैं न, लेकिन ये कह रह हैं कि उनको पैसा देना चाहिए. तब एक एक लोगों ने शपथ लिया था
नीतीश कुमार ने कहा कि क्राइम को रोकने के लिए कई कितने ही कानून बने हुए हैं, लेकिन हत्याएं तो होती ही हैं.
16 दिसंबर आते आते जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा 60 से ऊपर पहुंच चुका था. नीतीश कुमार से जब जहरीली शराब से जान गंवाने वालों को मुआवजा देने की बात पूछी गई तो वे बिफर पड़े. उन्होंने दो टूक कहा कि दारू पीकर मरने वालों को मुआवजा देंगे ये सवाल ही पैदा नहीं होता है. नीतीश ने कहा, “मत पीओ मरोगे, इसका तो हमलोग प्रचार करवाएंगे, दारू पीकर मर जाएगा तो उसको हमलोग कम्पनसेशन देंगे, सवाल ही पैदा नहीं होता है. ये कभी मत सोचिएगा.
भाजपा इतना बड़का झुट्ठा पार्टी है
इधर तेजस्वी यादव ने एक दूसरे बयान में कहा कि भाजपा इतना बड़का झुट्ठा पार्टी है. गोपालगंज में जब शराब से मृ्त्यु हुई थी तो ये लोग कहां थे. आज ड्रामा कर रहे थे. सत्र के बीच में ऐसा करना. इन लोग के पास मुद्दा नहीं है. ये लोग 24 को लेकर डरे हुए हैं. एजेंडा बनाने के लिए ये लोग जो करना है वो करेंगे.
नीतीश कुमार भले ही जहरीली शराब से मरने वालों को मुआवजा देने के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन उन्हीं की सरकार में सहयोगी जीतन राम मांझी ने कहा कि सरकार को मुआवजा देना चाहिए
रोम जल रहा था, नीरो बंसी बजा रहा था
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी इस मामले पर नीतीश पर हमला किया. अश्विनी चौबे ने कहा कि इस दर्दनाक मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संवेदनहीन बयान इसलिए दे रहे हैं क्योंकि मरने वाले गरीब हैं. बिहार में जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं, उनमें वे सबसे संवेदनहीन मुख्यमंत्री हैं. उनके फर्जी शराबबंदी की कीमत बिहार की जनता को उठाना पड़ रहा है. आज बिहार में मौत का मातम है और वह मुस्कुराते हुए संवेदनहीन बयान दे रहे हैं. बिहार की जनता राजद, जनता दल यूनाइटेड कांग्रेस और उनके अन्य सहयोगी दलों को देख रही है. समझ रही है. जब रोम जल रहा था, नीरो बंसी बजा रहा था. वही हाल नीतीश कुमार का है.
48 घंटे में रद्द हो शराबबंदी कानून
प्रशांत किशोर ने भी नीतीश कुमार पर हमला बोला. पीके ने भी 48 घंटे के भीतर शराबबंदी कानून को रद्द करने की मांग की. पीके ने नीतीश के अलावा तेजस्वी पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार के करीब रहने वाले लोग ही शराब पीते हैं.
भाजपा के सभी नेता शराब पीते हैं
इधर जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने बीजेपी नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के लगभग नेता शराब पीते हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष के एमएलए-एमएलसी शराब पीते हैं. आप जांच करवा लीजिए. नहीं तो कसम खाइए. पप्पू यादव ने भी कहा कि सरकार को मुआवजा देना चाहिए.
बता दें कि बिहार राज्य में साल 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी. आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अब तक शराबबंदी कानून तोड़ने के मामले में कुल पांच लाख से ज़्यादा केस दर्ज हो चुके हैं.