बिहार में आये दिन जमीन विवाद के मामले सामने आते रहते हैं। थाना और कोर्ट में करीब 50 फीसदी केस भूमि विवाद से ही जुड़े होते हैं। सरकार और पुलिस प्रशासन भी कोशिश में है कि भूमि विवाद के मामले निष्पादित हो। ताकि विवाद बढ़े नहीं। बावजूद इसके प्रदेश में जमीन विवाद दिन पर दिन बड़ी समस्या बनती जा रही है। इस विवाद में हत्या तक कर दी जा रही है। हजारों हत्याओं और केस के बाद अब राज्य सरकार की नींद खुली है। सरकार भूमि विवाद के निबटारे के लिए एक ठोस कदम उठा रही है; जो एक मिल का पत्थर साबित होगा।
हाईकोर्ट के फैसले का व्यापक असर
प्रदेश में अब जमाबंदी कायम रखने वाले लोग ही जमीन की बिक्री कर सकेंगे। हाईकोर्ट पटना का एक फैसला आया है। इसी के आलोक में मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग ने एक आदेश जारी किया है। विभाग के उप निबंधक महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय ने राज्य के सभी डीएम को पत्र भेज धरातल पर फैसले का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है। बताया गया है कि हाईकोर्ट के आदेश का व्यापक असर होगा और लोगों को जमीन विवाद से बहुत हद तक राहत मिलेगी। यानी न विवाद होगा और न कोर्ट और थाना का चक्कर काटना पड़ेगा।
पूर्व में सरकार ने जारी किया था आदेश
विभाग ने बिहार रजिस्ट्रीकरण नियमावली 2008 में बदलाव के साथ 10 अक्टूबर 2019 को अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत जमाबंदी रखने वाले ही जमीन की रजिस्ट्री कर सकते थे, लेकिन सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी गई थी। आमोद बिहारी सिंह बनाम बिहार सरकार के मामले में हाईकोर्ट, पटना का फैसला आने तक निबंधन विभाग ने जमाबंदी से संबंधित अपने आदेश पर रोक लगा दी थी। करीब चार वर्षों बाद हाईकोर्ट से यह मामला सलटा है। यानी राज्य सरकार के आदेश पर कोर्ट से मुहर लग गई है।
क्या है जमीन की जमाबंदी
राजस्व विभाग द्वारा एक दस्तावेज तैयार किया जाता है, जिसे जमाबंदी या अधिकारों का रिकॉर्ड कहा जाता है। इस रिकॉर्ड में जमीन का मालिक कौन है, कितनी जमीन है, सहित कई जानकारियां शामिल होती है। जांच के बाद राजस्व अधिकारी हर 5 साल में जमीन की जमाबंदी को अपडेट करते हैं। इसी के आधार पर जमीन की रसीद कटती है। अब जमीन विवाद में भारी कमी आने की संभावना है। कल तक रजिस्ट्री ऑफिस को आपत्ति करने का अधिकार नहीं था। भूमि विवाद पर मामला कोर्ट में चला जाता था। भू-माफिया एक ही जमीन को कई लोगों को बेच देते थे।
फ्लैट-अपार्टमेंट पर लागू नहीं
राज्य में लोगों के पास वंशानुगत जमीन है। अभी भी जमीन दादा या परदादा के नाम से है। परिवार के लोगों के बीच बंटवारा मौखिक है। ज्यादातर परिवार के सभी लोगों के नाम से अलग-अलग जमीन की जमाबंदी कायम नहीं है। ऐसे में लोग जमीन की खरीद बिक्री नहीं कर पाएंगे। हालांकि फ्लैट या अपार्टमेंट की रजिस्ट्री करवाने में यह नियम लागू नहीं होगा। पुराने फ्लैट या अपार्टमेंट की रजिस्ट्री होल्डिंग नंबर के आधार पर हो सकेगी।
जिला अवर निबंधक का पत्र जारी
सरकार के उक्त पत्र के आलोक में जिला अवर निबंधक ने आम जनता की जानकारी के लिए एक पत्र निकाला है, जिसमें कहा गया है कि बिक्री/दान पत्र के ऐसे दस्तावेज, जिसमें विक्रेता/दान कर्त्ता के नाम से जमाबंदी कायम होने का उल्लेख न हो तथा विक्रेता/दान कर्त्ता के नाम से जमाबंदी कायम होने से संबंधित कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया हो, तो निबंधन अस्वीकृत किया जा सकता है।