बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए खुशखबरी है. दोनों प्रदेशों के बड़े शहरों को जोड़ने वाली एक और वंदे भारत एक्सप्रेस को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखा दी है. ये ट्रेन पटना के पाटलीपुत्र रेलवे स्टेशन से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक का सफर तय करेगी.
ये देश की 71वीं वंदे भारत ट्रेन है. इसी के साथ मोदी सरकार ने 75 वंदे भारत चलाने के सपने के सफर में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है. गोरखपुर और पाटलिपुत्र के बीच चलने वाली ये वंदे भारत एक्सप्रेस 110 की रफ्तार से दौड़ेगी. हालांकि, भविष्य में इसकी रफ्तार को बढ़ाने की बात कही गई है. 22 जून से आम लोग इस ट्रेन में सफर कर सकेंगे.
पाटलिपुत्र-गोरखपुर वंदे भारत का रूट
पाटलिपुत्र से गोरखपुर के बीच चलने वाली इस ट्रेन के कुल 9 स्टॉपेज होंगे. यानी ये कुल 9 जगह रुकेगी और 10वां स्टेशन गोरखपुर होगा. ये ट्रेन हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बापूधाम, मोतिहारी, सगौली, बेतिया, नरकटियागंज, बगहा और कप्तानगंज होते हुए गोरखपुर पहुंचेगी. वापसी में भी यही ठहराव होंगे.
पाटलिपुत्र-गोरखपुर वंदे भारत का किराया
नई वंदे भारत ट्रेन में बिहार के पाटलिपुत्र से गोरखपुर तक के सफर के एसी चेयर कार का न्यूनतम किराया 925 रुपये तय किया गया है. वहीं, एग्जीक्यूटिव क्लास का अधिकतम किराया 1820 रुपये तय किया गया है.
पाटलिपुत्र-गोरखपुर वंदे भारत की रफ्तार
जानकारी के मुताबिक, पाटलिपुत्र-गोरखपुर वंदे भारत को दोनों स्टेशनों के बीच 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाएगा. इससे लोगों लोगों को यात्रा में लगने वाले समय की बचत होगी. ट्रैक की हालत में सुधार करने के बाद इसकी रफ्तार को भी बढ़ाने की तैयारी है.
पाटलिपुत्र-गोरखपुर वंदे भारत की टाइमिंग
पाटलिपुत्र और गोरखपुर के बीच ये ट्रेन सप्ताह में 6 दिन ही चलेगी. यानी शनिवार के अलावा सभी दिनों में लोगों को इसमें सफर करने का मौका मिलेगा. ये गोरखपुर रेलवे स्टेशन से सुबह 5.40 बजे रवाना होगी और दोपहर 12.45 बजे पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन पहुंचेगी. रिटर्न जर्नी में ये ट्रेन पाटलिपुत्र स्टेशन से शाम 3.30 बजे रवाना होगी और रात 11.30 बजे गोरखपुर में अपना सफर खत्म करेगी.
कब और कहां चली थी पहली वंदे भारत?
देश में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस फरवरी 2019 में नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चली थी. इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है. मौजूदा समय तक 71 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के माध्यम से देश के कई शहरों को एक दूसरे के साथ जोड़ा जा चुका है.
