इंजीनियरिंग कॉलेजों में नामांकित विद्यार्थियों को अब सातवें सेमेस्टर में आठ सप्ताह की इंटर्नशिप अनिवार्य होगी। अभी तक तीसरे और पांचवें सेमेस्टर में इंटर्नशिप का प्रविधान किया गया था। यह बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय की देखरेख में ऑनलाइन मोड में भी होती है।
नई व्यवस्था के तहत अब सातवें सेमेस्टर में इंटर्नशिप फिजिकल मोड में होगी। इसके लिए विभाग की ओर से सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए निर्देश जारी किया गया है। इस बाबत भोजपुर इंजीनियरिंग कॉलेज ने बिहार उद्योग विभाग की जिला इकाई से समझौता किया है।
सातवें सेमेस्टर में विद्यार्थियों को राज्य सरकार की ओर से संचालित विभिन्न परियोजनाओं में ट्रेनिंग का अवसर प्रदान किया जाएगा। इसमें बीटेक के सभी ब्रांचों में नामांकित विद्यार्थियों को प्रशिक्षण में हिस्सा लेना अनिवार्य होगा।
इस कड़ी में राज्य सरकार की और से संपोषित निगम, बोर्ड, सोसाइटी के अलावा पथ निर्माण विभाग, भवन निर्माण विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य, अभियंत्रण विभाग, जल संसाधन विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, ऊर्जा विभाग, नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्युशन कंपनी लिमिटेड, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड की ओर से संचालित विकासात्मक परियोजनाओं में विद्यार्थियों को इंटरशिप के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
सरकार देगी 10 हजार रुपये
दूसरी ओर, सातवें सेमेस्टर में ट्रेनिंग करनेवाले छात्र-छात्राओं को सरकार की ओर से 10 हजार रुपये प्रोत्साहन और प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए मिलेंगे। इंटर्नशिप की अवधि पूरी कर प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करने और संस्थान स्तर पर गठित कमेटी के मूल्यांकन के बाद लाभार्थी के खाते में राशि स्थानांतरण की जाएगी।
इंटर्नशिप में भी छात्र-छात्राओं की 75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी
इंटर्नशिप अवधि में कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी। अभ्यर्थियों के आचरण की समीक्षा संबंधित निगम, सोसाइटी के इंटर्नशिप प्रभारी और संबंधित इंजीनियरिंग कालेज के शिक्षक करेंगे। प्राचार्य प्रो. सीबी महतो ने बताया कि विभाग की ओर से एक पोर्टल का निर्माण किया जाएगा। इस पर छात्र-छात्राएं इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे। पोर्टल पर विभिन्न विभागों, निगमों के नाम, इंटर्नशिप के लिए संभावित छात्र-छात्राओं की संख्या की जानकारी दर्ज रहेगी।
उन्होंने कहा, पोर्टल से विद्यार्थियों को अपने संस्थान की निकटस्थ परियोजना में ट्रेनिग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही विभिन्न विभागों की ओर से संचालित परियोजनाओं के आधार पर हर वर्ष इंजीनियरिंग के विभिन्न पाठ्यक्रमों के अनुसार छात्र-छात्राओं के नाम जारी किया जाएगा। इसका निर्णय विभाग की ओर से किया जाएगा।