सीतामढ़ी के माता सीता की धरती पंथपाकर धाम में इन दिनों आस्था और उत्सुकता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। जानकी डोली स्थल पर स्थित एक प्राचीन पाखर के पेड़ के तने से निकले ‘नाग पुष्प’ ने भक्तों को चकित कर दिया है। धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक जिज्ञासा के बीच यह पुष्प चर्चा का केंद्र बन गया है।
स्थानीय श्रद्धालु मानते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लगभग डेढ़ साल बाद सीता की भूमि पर यह दिव्य पुष्प खिलना किसी दैविक संकेत से कम नहीं है। यह लालिमा लिए पुष्प श्री हनुमान मंदिर के उत्तर दिशा में एक चबूतरे पर खिला है, जहां भक्तों की भीड़ लगातार उमड़ रही है। बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने ऐसा फूल जीवन में पहली बार देखा है।
वन विभाग ने फूल को रिसर्च के लिए भेजा
सीता संवाद आध्यात्मिक एवं साहित्यिक यात्रा के निदेशक आग्नेय कुमार अपने साथियों के साथ स्थल पर पहुंचे। फूल को संरक्षित रखने की अपील की। उन्होंने वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार को पत्र लिखकर इस फूल पर वनस्पति वैज्ञानिकों से रिसर्च कराने की मांग की है।
जिला वन अधिकारी अमृता राज भी अपनी टीम के साथ पहुंचीं और फूल को देखा। पुष्प का एक नमूना रिसर्च के लिए देहरादून भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही पुष्प की प्रजाति और विशेषताओं पर कुछ कहा जा सकेगा।
श्रद्धालुओं से अपील: ना चढ़ाएं प्रसाद या अगरबत्ती
भीड़ बढ़ने के चलते मंदिर समिति ने पुष्प के चारों ओर बैरिकेडिंग करवा दी है और श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे प्रसाद, चंदन या अगरबत्ती न चढ़ाएं ताकि पुष्प सुरक्षित रह सके। सावन के पहले सोमवार को श्रद्धालुओं का रेला पंथपाकर धाम में उमड़ा रहा।
दैविक चमत्कार हो या कोई प्राकृतिक रहस्य, यह नाग पुष्प आज सीता की धरती पर श्रद्धा और विज्ञान दोनों के बीच सेतु बन गया है।
