बिहार में महिलाओं के वोट के लिए नये सिरे से होड़ शुरू हो गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष में तो होड़ स्वाभाविक भी है, लेकिन महागठबंधन के भीतर कांग्रेस और आरजेडी में भी ऐसा ही मुकाबला होता लग रहा है.
बिहार में नीतीश कुमार तो पहले से ही महिलाओं के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं. शराबबंदी भी नीतीश कुमार ने महिलाओं के वोट हासिल करने के लिए ही लागू किया था. अभी अभी बिहार सरकार की तरफ से महिला कर्मचारियों के लिए तैनाती वाली जगह आवास की सुविधा देने की घोषणा की गई है.
महागठबंधन में तो महिलाओं के वोट के लिए अलग ही जंग शुरू हो गई है. अपनी बिहार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव ने दिसंबर, 2024 में ही ‘माई बहिन मान योजना’ लाये जाने का ऐलान किया था. तेजस्वी यादव ने कहा था, ‘मेरे 17 महीने के कार्यकाल में मैंने हर वो अपना वादा पूरा किया है जो मैंने अपनी जनता जनार्दन से किया था.’
तेजस्वी यादव ने कहा था कि उनकी सरकार बनी तो महिलाओं के खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर किया जाएगा. महिलाओं के साथ एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर करते हुए तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी थी – तेजस्वी यादव की घोषणा के करीब पांच महीने बाद कांग्रेस ने तो माई बहिन मान योजना लॉन्च ही कर दी है.
महिलाओं की स्कीम पर महागठबंधन में क्या चल रहा है?
मध्य प्रदेश शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते ‘लाडली बहना योजना’, की शुरुआत की थी, और बीजेपी की सत्ता में वापसी की सबसे बड़ी वजह भी वही मानी गई. महाराष्ट्र में भी बिल्कुल उसी तर्ज पर बीजेपी की गठबंधन सरकार ‘लाडली बहिन योजना’ लेकर आई, और रिजल्ट तो सबको पता ही है – और झारखंड में भी ‘मैया सम्मान योजना’ का कमाल सबने देखा ही है.
2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सीएम फेस कमलनाथ ने भी बीजेपी के मुकाबले ‘नारी सम्मान योजना’ की घोषणा की थी, लेकिन शिवराज सिंह चौहान के आगे उनका ये दांव नहीं चल पाया.
मई, 2025 में बिहार में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने ‘माई बहिन मान योजना’ कैंपेन की औपचारिक शुरुआत की, और अब तो कांग्रेस की तरफ से महिलाओं से रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी भरवाया जा रहा है.
ये स्कीम शुरू करते वक्त कहा गया था कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हर जरूरतमंद महिला को हर महीने 2500 रुपये की सम्मान राशि सीधे उसके खाते में भेजी जाएगी. मुहिम से जुड़ने के लिए कांग्रेस की तरफ से एक नंबर भी दिया गया है, जिस पर मिस कॉल देकर योजना से जुड़ा जा सकता है.
मीडिया से बातचीत में अलका लांबा ने कहा था, एक अनुमान के मुताबिक बिहार में करीब 5.36 करोड़ महिलाएं हैं, कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा है कि हर महिला को सशक्त बनाने की ये योजना घर घर पहुंची तो बड़ी संख्या मेंआधी आबादी कांग्रेस के साथ जुड़ेगी.
दिसंबर, 2024 में दरभंगा में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर तेजस्वी यादव ने कहा था, 2025 में हमारी सरकार बनने पर हम माई बहिन मान योजना के तहत महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देंगे. उनका कहना था कि ऐसा होने पर नये बिहार के साथ ‘समृद्ध महिला, सुखी परिवार’ का सपना भी सच होगा.
कांग्रेस क्या आरजेडी से अलग कोई तैयारी कर रही है?
कांग्रेस ये जरूर कह रही है कि बिहार विधानसभा का चुनाव वो आरजेडी के साथ ही महागठबंधन के बैनर तले ही लड़ेगी, लेकिन राहुल गांधी के ताबड़तोड़ बिहार दौरे, और बयानों से तो यही लगता है जैसे कांग्रेस अपने लिए अलग से तैयारी कर रही हो. मतलब, अगर कहीं पेच फंसा तो अकेले भी मैदान में उतर सकती है.
महागठबंधन की मीटिंग भी होती है. कांग्रेस भी आरजेडी और दूसरे दलों के साथ मीटिंग में शामिल होती है, लेकिन जैसे ही तेजस्वी यादव के महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे की बात आती है, कांग्रेस नेता इधर उधर की बातें करने लगते हैं. पहले तो ऐसे सवालों के जवाब में कहा जाता था कि मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई है, लेकिन बयान का ड्राफ्ट बदल दिया गया है.
हाल ही में जब तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा बनाये जाने का सवाल कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के सामने उठा था तो उनका कहना था, ‘तेजस्वी यादव समन्वय समिति के नेता हैं.’ लगा जैसे कह रहे हों, भला और क्या चाहिये.
कांग्रेस का ये रुख देखकर आरजेडी नेता जोर जोर से कहने लगते हैं कि महागठबंधन के नेता तो तेजस्वी यादव ही हैं. और, चुनाव बाद मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे – लेकिन, अपनी तरफ से लगता है जैसे आरजेडी के दावे को नामंजूर करने की कोशिश करती है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि तेजस्वी यादव और कांग्रेस दोनों ने योजना का नाम भी एक ही रखा है, और महिलाओं के खातों में भेजी जाने वाली रकम भी बराबर रखी है.
माई बहिन मान योजना के मामले में भी कांग्रेस का रुख करीब करीब वैसा ही लगता है, जैसा तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा बनाये जाने को लेकर है. आखिर कांग्रेस ये सब क्यों उलझाये रखना चाहती है. सिर्फ सीटों के बंटवारे में दबाव बनाने के लिए या राहुल गांधी के मन में तेजस्वी यादव को लेकर कुछ और ही चल रहा है?
