माउंटेन मैन के रूप में विख्यात दशरथ मांझी के परिवार को लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बड़ा तोहफा दिया है. बिहार में अपने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान गया शहर में आयोजित जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी को नए मकान की चाबी तोहफे के दौर पर दिया है जिसका निर्माण खुल राहुल ने करवाया है. राहुल गांधी ने भगीरथ मांझी को सौंपा पक्के घर की चाबी सासाराम से 17 अक्तूबर को शुरू हुई राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा 18 अगस्त को गया पहुंची. जहां शाम को आयोजित कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने भगीरथ मांझी को पास बुलाकर उन्हें नए घर की चाबी सौंपी. राहुल ने भगीरथ मांझी से हाथ भी मिलाया और उन्हें गले भी लगाया. जब राहुल ने भगीरथ मांझी को सौंपा तो मंच पर उनके साथ तेजस्वी यादव, मुकेश साहनी और दीपांकर भट्टाचार्य सहित कई नेता मौजूद थे. भगीरथ मांझी और उनके परिवार के सदस्यों ने मंच से राहुल गांधी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि दशरथ मांझी के परिवार के लिए ऐसा काम आज तक किसी ने नहीं किया.
बिहार सरकार प्रदेश में दशरथ मांझी महोत्सव का आयोजन कर रही है उसके अगले ही दिन राहुल गांधी ने मांझी परिवार नए मकान का चाबी सौंपा है. राहुल गांधी 5 जून 2025 को बिहार के गया और राजगीर के एक दिवसीय दौरे पर आए थे. तब उन्होंने दशरथ मांझी के परिवार से मुलाकात भी की थी, राहुल गांधी ने जिस मिट्टी के मकान में बैठकर परिवार के लोगों से मुलाकात की उसी मकान को उन्होंने पक्का घर बना दिया. केवल दो महीने में ये घर बनकर तैयार हुआ है.
कौन थे दशरथ मांझी
दशरथ मांझी, जिन्हें “माउंटेन मैन” के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के गया जिले के गहलौर गाँव के एक गरीब मजदूर थे। उनका जन्म 14 जनवरी 1934 को हुआ था। मांझी के जीवन का सबसे प्रसिद्ध और प्रेरणादायक कार्य उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत का नतीजा है—उन्होंने अकेले ही छेनी और हथौड़े की मदद से 22 वर्षों (1960-1982) तक मेहनत कर एक विशाल पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया। उनके इस प्रयास के बाद गांव के अतरी और वजीरगंज ब्लॉक के बीच की दूरी 55 किमी से घटकर लगभग 15 किमी रह गई।
दशरथ मांझी ने यह असंभव-सा काम अपनी पत्नी फाल्गुनी देवी की याद में किया। एक दिन जब उनकी पत्नी पहाड़ पार करते समय गिर गईं और समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण उनका देहांत हो गया—इस दुखद घटना ने दशरथ मांझी को पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने के लिए प्रेरित किया। शुरूआत में लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन मांझी ने हार नहीं मानी और अपने अथक परिश्रम से अपने गाँव और आसपास के गांवों के लोगों के लिए जीवन को सरल और बेहतर बना दिया।
उनकी इस अद्मय साहस और लगन की वजह से उन्हें आज ‘माउंटेन मैन’ के नाम से जाना जाता है। उनका निधन 17 अगस्त 2007 को नई दिल्ली में हुआ। आज भी दशरथ मांझी की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है
