सीतामढ़ी, बिहार: पिछले 26 घंटों से, बिहार SDRF की टीम सीतामढ़ी के मेहसौल में पानी में डूबे एक लड़के, सलमान की लाश को निकालने के लिए संघर्ष कर रही थी। लेकिन सभी प्रयास विफल रहे।
इस हताशा के माहौल में, मेहसौल के एक होनहार नौजवान, अख्तर सलीम ने अपनी सूझबूझ और देसी जुगाड़ का इस्तेमाल कर SDRF के तकनीकी प्रयासों को मात दे दी।
अख्तर ने क्या किया?
उन्होंने लोहे से बने एक बड़े कांटे, कई तरह के हुक और फाँसनर का इस्तेमाल करके एक जाल बनाया।
20 फीट से अधिक गहरे कुंड और दलदल में उतरने के लिए उन्होंने स्टीमर का सहारा लिया।
अपने देसी जुगाड़ वाले जाल को स्टीमर पर चढ़ाकर, उन्होंने पहली ही कोशिश में सलमान की लाश को निकालने में सफलता हासिल कर ली।
अख्तर कौन हैं?
अख्तर सलीम, मोहम्मद शलीम के बड़े बेटे हैं, जो मेहसौल के कबाड़ा वाले वार्ड नम्बर 28 में रहते हैं।
वे ‘the voice of bihar news’ के रिपोर्टर अरशद सलीम के भी बड़े भाई हैं।
अख्तर बाजार समिति रोड सीतामढ़ी में स्क्रैप कबाड़ा की दुकान चलाते हैं।
उन्होंने कबाड़ के सामान से ही अपना देसी जुगाड़ बनाकर SDRF की तकनीक को भी मात दे दी।
अख्तर की बहादुरी और सूझबूझ की हर तरफ तारीफ हो रही है।
लोगों का कहना है कि उन्होंने जहां SDRF नाकाम रही, वहां अख्तर ने अपनी हिम्मत और हुनर से सलमान के परिवार को राहत दिलाई।
यह घटना सिखाती है कि मुश्किलों में भी हार नहीं माननी चाहिए।
अख्तर ने अपनी सूझबूझ और देसी जुगाड़ से यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति हो तो कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
रिपोर्टर:- सरोज राजा सीतामढी।