केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सीतामढ़ी-जयनगर- निर्मली रेल लाइन परियोजना को मंज़ूरी दे दी है। यह उत्तर बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा विकास परियोजना है, जिसकी लागत 2,400 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना से मिथिला क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलने और नेपाल के साथ संबंधों को मज़बूत करने की उम्मीद है। 189 किलोमीटर लंबी इस नई रेलवे लाइन पर कुल 25 स्टेशन होंगे, जिनमें चार मौजूदा स्टेशनों के साथ-साथ 21 नए स्टेशनों का निर्माण भी शामिल है। प्रमुख नए स्टेशन भुतही , सोनबरसा , सुरसंड , उमगांव , लालमणि और लौकाही में बनाए जाएंगे।
नई रेल परियोजना
इस परियोजना से सीतामढ़ी, मधुबनी और सुपौल जिलों की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण लाभ मिलने और चार लोकसभा क्षेत्रों: सीतामढ़ी, मधुबनी , झंझारपुर और सुपौल के लिए परिवहन में सुधार होने की उम्मीद है । भारत-नेपाल सीमा और सुरसंड आदिवासी क्षेत्र से होकर गुज़रने वाली यह रेल लाइन व्यापार, पर्यटन और स्थानीय उद्योगों को अभूतपूर्व प्रोत्साहन प्रदान करने के साथ-साथ मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देगी।
पीएम को धन्यवाद
जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस परियोजना को ‘डबल इंजन सरकार’ के कामकाज का एक बड़ा उदाहरण बताया और कहा कि यह भारत और नेपाल के बीच गहरे ‘ बेटी -रोटी’ संबंधों को और मज़बूत करेगी।
केंद्र ने दी मंजूरी
यह मंज़ूरी केंद्रीय अमित शाह द्वारा 8 अगस्त, 2025 को सीतामढ़ी में परियोजना के बजट की घोषणा के बाद मिली है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आश्वासन दिया है कि निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा। झा ने विश्वास व्यक्त किया कि परियोजना निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी हो जाएगी और क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक समृद्धि लाएगी।
इस परियोजना से सीतामढ़ी, मधुबनी और सुपौल जिलों की अर्थव्यवस्था को नए पंख लगेंगे। सुरसंड ट्राइबल एरिया से होते हुए पूरे भारत-नेपाल बॉर्डर को छूते हुए गुजरने वाली इस रेलवे लाइन से न केवल आवागमन सुगम होगा, बल्कि व्यापार, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी अभूतपूर्व गति मिलेगी। रेल लाइन के निर्माण से स्थानीय बाजार, छोटे-बड़े उद्योगों और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने वाले पर्यटन को नई गति मिलेगी।
