सीतामढ़ी शहर और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों, जंगली सूअरों और नीलगायों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। दो दिन पहले रमनगरा में एक आवारा कुत्ते ने तीन घंटे में 25 लोगों को काट लिया। घायलों को सदर अस्पताल लाया गया। भीड़ ज्यादा होने पर कई को एसकेएमसीएच रेफर करना पड़ा। शहर की मुख्य सड़कों से लेकर मोहल्लों तक हर जगह आवारा जानवरों की भरमार है। पैदल चलने वाले और दोपहिया वाहन चालकों के लिए खतरा बढ़ गया है। सदर अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि यह सिर्फ कुत्तों की समस्या नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा का बड़ा संकट बन चुका है। वर्ष 2022 में 15,492, 2023 में 15,100 और 2024 में 15,484 लोग कुत्तों के काटने पर इलाज के लिए पहुंचे। 2025 के पहले छह महीनों में ही 1127 लोग अस्पताल आए। रोजाना 5 से 6 लोग एंटी-रेबीज इंजेक्शन लेने पहुंचते हैं। कई मामलों में बच्चों और बुजुगों को गंभीर चोटें आई हैं। रिहायशी इलाकों और बाजारों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है। आम दिनों में कुत्ते राहगीरों के पीछे दौड़ते हैं और हमला कर देते हैं। सब्जी, फल और मांस-मछली की दुकानों के पास कुत्तों का झुंड रहता है। दुकानों के बंद होते ही ये आक्रामक हो जाते हैं और राहगीरों को काट लेते हैं।
अधर में लटकी नसबंदी योजना, बढ़ती जा रही कुत्तों की संख्या
एनएच पर जंगली सूअर और नीलगाय भी खतरा बनते जा रहे हैं। अचानक सड़क पर आ जाने से हादसे हो रहे हैं। कई बार तेज रफ्तार गाड़ियों की टक्कर इन जानवरों से हो चुकी है। इससे वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं और जानमाल का नुकसान भी हुआ है। नगर निगम के पास न तो कुत्तों की संख्या का कोई आंकड़ा है, न ही कोई सर्वेक्षण हुआ है। नसबंदी योजना भी अधर में है। न नसबंदी केंद्र है, न प्रशिक्षित कर्मी, न पंजीकरण प्रक्रिया। हर साल कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। इससे सड़कों पर असुरक्षा और मानसिक तनाव बढ़ा है।
स्कूल जाने से डर रहे बच्चे
शहर के प्रमुख इलाकों मेहसौल चौक, कारगिल चौक, गांधी चौक, बसवरिया चौक, मोहनपुर चौक ,राजोपट्टी रोड, जानकी स्थान रोड, स्टेशन रोड, अस्पताल रोड में कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ी है। व्यवसायी नीरज नयन चौधरी ने बताया कि फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। गाय-भैंस सब्जियां खा जाती हैं। ग्राहक डरकर दूर हट जाते हैं। बाजार क्षेत्रों और स्कूलों के आसपास सुबह-शाम बच्चों की आवाजाही ज्यादा होती है। लेकिन कुत्तों के डर से बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं। कई बार बच्चों को दौड़ाकर गिरा दिया गया है। महिला राहगीरों को छोटे रास्तों से होकर जाना पड़ता है। बीए छात्र केशव राज ने बताया कि सुबह कोचिंग जाते समय स्कूटी से निकलते ही कुत्ते पीछा करने लगते हैं। गिरने का डर बना रहता है।
मामला संज्ञान में है। संबंधित विभाग के साथ बैठक हुई है। जल्द ही आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए वाहन की खरीदारी और अन्य इंतजाम किए जाएंगे। प्राक्कलन तैयार कर योजना को कार्यरूप दिया जाएगा। -कुलदीप सिन्हा, प्रभारी आयुक्त, नगर निगम
