सीतामढ़ी: बिहार का सीतामढ़ी जिला मां जानकी की जन्मभूमि के रूप में देश-विदेश में विख्यात है। मां सीता की जन्मभूमि ने एक बार फिर नई इबारत गढ़ कर देश में अपनी पहचान बनाई है। दरअसल, शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम कर सीतामढ़ी जिला देश स्तर पर अव्वल रहा है। यह कोई सुनी-सुनाई बात नहीं, बल्कि नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद जिले के शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े खासकर शिक्षक बेहद खुश है। उन्हें संतोष इस बात का है कि वे शिक्षा के क्षेत्र में ईमानदारी से जितना श्रम और मेहनत कर रहे हैं, उसका प्रतिफल उन्हें मिला है।
सीतामढ़ी जिले को पहली बार मिली है उपलब्धि
नीति आयोग का गठन जनवरी 2015 में हुआ था। यह आयोग हर माह विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत क्षेत्रों की उपलब्धियों की समीक्षा कर जिलावार और राज्यवार रैंकिंग जारी करता है। मई का रैंकिग जुलाई में जारी हुआ है। इस रैंकिंग में शिक्षा के क्षेत्र में सीतामढ़ी जिला पूरे देश में प्रथम पायदान पर आया है। पहली बार है कि जिला को देश स्तर पर अव्वल आने में कामयाबी मिली है। उक्त उपलब्धि जिला के लिए गौरव की बात है। शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी, कर्मी और शिक्षक अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। बैरगनिया हाई स्कूल के एक शिक्षक निलेश मिश्रा ने बताया कि वास्तव में यह क्षण गौरव का है। नीति आयोग की रिपोर्ट से शिक्षकों का हौसला बढ़ा है, जिसका आगे भी सकारात्मक परिणाम देखने/सुनने को मिलेगा।
शिक्षा रैंकिंग में सीतामढ़ी को पहला
नीति आयोग ने ट्वीट कर रैंकिंग जारी की है। यह रैंकिंग देश स्तर पर जारी की गई है, जिसमें सीतामढ़ी को पहला नंबर मिला है। वहीं मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले को दूसरा स्थान मिला है। जबकि तीसरे से पांचवें स्थान पर असम के तीन जिले हैं। सीतामढ़ी जिला की इस उपलब्धि पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने आयोग की रैंकिंग वाली ट्वीट को रिट्विट कर अंत में लिखा है ‘जय मां जानकी-जय सियाराम।’
इन क्षेत्रों में बिहार काफी पीछे
नीति आयोग ने विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों की रैंकिग जारी की है। एक मात्र शिक्षा के क्षेत्र में सीतामढ़ी जिला जगह बनाकर बिहार का मान बचाया है। अन्य किसी भी क्षेत्र की रैंकिंग में बिहार का कोई जिला दूर-दूर तक नहीं है। भले ही नीतीश सरकार विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर विकास का दावा करें, लेकिन नीति आयोग की रैंकिंग की रिपोर्ट से सरकार का दावा नहीं टिकता है। जैसे वित्तीय समावेशन/स्किल डेवलपमेंट की रैंकिंग में देश के टॉप पांच जिलों में बिहार का एक भी जिला नहीं है। इसमें द्वितीय स्थान को छोड़ शेष चार स्थानों पर असम के ही चार जिले हैं। एग्रीकल्चर एवं वाटर रिसोर्सेस में भी टॉप पांच जिलों में बिहार का कोई जिला नहीं है। स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों में भी सुने के एक भी जिला टॉप पांच में नहीं है।