बिहार में दाखिल-खारिज की 1 मार्च से नई व्यवस्था लागू हो गई है। सूबे के सभी 534 अंचलों में अंचल अधिकारी और राजस्व अधिकारी दाखिल-खारिज के मामले निपटाएंगे। यही नहीं, दाखिल-खारिज में फीफो ( फर्स्ट इन फर्स्ट आउट) का पालन अनिवार्य कर दिया गया है। यानी कि पहले आए आवेदन का निपटारा पहले करना होगा। आवेदनों का निपटारा क्रमानुसार करना अनिवार्य होगा। किसी सूरत में यह क्रम नहीं तोड़ा जा सकेगा। अभी यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच अंचलों में चल रही थी।
दाखिल खारिज की नई व्यवस्था के तहत अंचल अधिकारी और राजस्व अधिकारी के बीच कार्य का बंटवारा हलका के अंक के आधार पर होगा। सम संख्या वाले हलका का काम राजस्व अधिकारी करेंगे तो विषम संख्या वाले हलका के दाखिल-खारिज का काम अंचलाधिकारी के जिम्मे होगा। इसके तहत निहित प्रावधान के अधीन राजस्व अधिकारी को अंचल स्तर दाखिल-खारिज याचिकाओं के निष्पादन के लिए अंचल अधिकारी की शक्ति प्रदान की गई है।
दाखिल-खारिज को लंबित रखने वाले अफसर नपेंगे
पटना प्रमंडल के आयुक्त कुमार रवि ने दाखिल-खारिज के लंबित मामलों को विशेष अभियान चलाकर निष्पादित करने का निर्देश दिया है। मंगलवार को वह आयुक्त कार्यालय स्थित कक्ष में आयोजित राजस्व विभाग की प्रमंडल स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक में पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। आयुक्त कुमार रवि ने कहा कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से निर्धारित विभिन्न मानकों पर खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारी एक माह के अंदर कार्य में सुधार ले आएं। पहले पुराने लंबित मामलों की समीक्षा कर दोषी अंचलाधिकारियों के खिलाफ जिलाधिकारी कार्रवाई करें। भूमि विवाद के मामले का उच्च प्राथमिकता के आधार पर निपटारा करें।