बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर सत्यापन कराया जा रहा है। चुनाव आयोग के इस कदम पर जमकर सिसायत हो रही है। राजद समेत पूरा विपक्ष इसे गरीबों से वोटिंग का अधिकार छीनने की साजिश बता रहा है। 9 जुलाई को पप्पू यादव ने बंदी की बात कही है। इस बीच राष्ट्री जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आरएसएस और चुनव आयोग पर तीखा वार किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी किया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लालू यादव ने कहा है कि संघियों ने देश के लोकतंत्र को इस पड़ाव पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां नागरिकों को अपना वोट को बचाने तथा सरकार द्वारा मतदान का अधिकार छीनने का प्रयास किया जा रहा है। चुनाव आयोग मतदाताओं को वोट के अधिकार से वंचित करने की साजिशें रच रहा है। चुनाव आयोग मतदाताओं को हतोत्साहित कर उनका मानसिक, आर्थिक और सामाजिक उत्पीड़न कर रहा है। वोट का सत्यापन करने की बजाय नागरिकता साबित करने को कह रहा है। भारत सरकार द्वारा जारी आधार कार्ड तक को स्वीकार नहीं कर रहा। इनकी गुंडागर्दी चलने नहीं देंगे।
चुनाव आयोग के मतदाता सत्यापन अभियान के खिलाफ तेजस्वी यादव ने भी मोर्चा खोल रखा है। शुक्रवार को महागठबंधन के नेताओं के साथ उन्होंने बिहार के चीफ इलेक्शन अफसर विनोद सिंह गुंजियाल से मुलाकात की और इस पर रोक लगाने की मांग की। विपक्ष का कहना है कि वोटर वेरिफिकेशन के लिए जिन कागजातों की मांग की जा रही है उन्हें गरीब तबके के लोग प्रस्तूत नहीं कर पाएंगे। नया प्रमाण पत्र बनाने के लिए अब समय भी नहीं है। चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव के ठीक बाद इसे शुरू कर देना चाहिए था।
पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने कहा था कि वोटर सर्वे टीम को गांव में घुसने नहीं देना है। अगर आ गए तो चाय, नाश्ता करवा कर वापस भेज देना है। शुक्रवार को एनडीए के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा कि कम समय दिए जाने से लोगों में वोटर वेरिफिकेशन को लेकर बेचैनी है।
