एग्ज़िट का मतलब होता है बाहर निकलना. इसलिए एग्ज़िट शब्द ही बताता है कि यह पोल क्या है.
जब मतदाता चुनाव में वोट देकर बूथ से बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि क्या आप बताना चाहेंगे कि आपने किस पार्टी या किस उम्मीदवार को वोट दिया है.
एग्ज़िट पोल कराने वाली एजेंसियां अपने लोगों को पोलिंग बूथ के बाहर खड़ा कर देती हैं. जैसे-जैसे मतदाता वोट देकर बाहर आते हैं, उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया.
कुछ और सवाल भी पूछे जा सकते हैं, जैसे प्रधानमंत्री पद के लिए आपका पसंदीदा उम्मीदवार कौन है वग़ैरह.
आम तौर पर एक पोलिंग बूथ पर हर दसवें मतदाता या अगर पोलिंग स्टेशन बड़ा है तो हर बीसवें मतदाता से सवाल पूछा जाता है. मतदाताओं से मिली जानकारी का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे.
भारत में कौन-कौन सी प्रमुख एजेंसियां हैं जो एग्ज़िट पोल करती हैं?
सी-वोटर, एक्सिस माई इंडिया, सीएनएक्स भारत की कुछ प्रमुख एजेंसिया हैं. चुनाव के समय कई नई-नई कंपनियां भी आती हैं जो चुनाव के ख़त्म होते ही ग़ायब हो जाती हैं.
एग्ज़िट पोल से जुड़े नियम-क़ानून क्या हैं?
रिप्रेज़ेन्टेशन ऑफ़ द पीपल्स एक्ट, 1951 के सेक्शन 126ए के तहत एग्ज़िट पोल को नियंत्रित किया जाता है.
भारत में, चुनाव आयोग ने एग्ज़िट पोल को लेकर कुछ नियम बनाए हैं. इन नियमों का मक़सद यह होता है कि किसी भी तरह से चुनाव को प्रभावित नहीं होने दिया जाए.
चुनाव आयोग समय-समय पर एग्ज़िट पोल को लेकर दिशानिर्देश जारी करता है. इसमें यह बताया जाता है कि एग्ज़िट पोल करने का क्या तरीक़ा होना चाहिए. एक आम नियम यह है कि एग्ज़िट पोल के नतीजों को मतदान के दिन प्रसारित नहीं किया जा सकता है.
चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से लेकर आख़िरी चरण के मतदान ख़त्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्ज़िट पोल को प्रसारित नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा एग्ज़िट पोल के परिणामों को मतदान के बाद प्रसारित करने के लिए, सर्वेक्षण-एजेंसी को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है.
क्या एग्ज़िट पोल के अनुमान आमतौर पर सही होते हैं?
वो कहते हैं, “एग्ज़िट पोल के अनुमान भी मौसम विभाग के अनुमान जैसे होते हैं. कई बार बहुत सटीक होते हैं, कई बार उसके आस-पास होते हैं और कई बार सही नहीं भी होते हैं. एग्ज़िट पोल दो चीज़ों का अनुमान लगाता है. वोट प्रतिशत का अनुमान लगाता है और फिर उसके आधार पर पार्टियों को मिलने वाली सीट का अनुमान लगाया जाता है.”
भारत में एग्ज़िट पोल पहली बार कब हुआ था?
भारत में दूसरे आम चुनाव के दौरान 1957 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक ओपिनियन ने पहली बार चुनावी पोल किया था.
इसके प्रमुख एरिक डी कॉस्टा ने चुनावी सर्वे किया था, लेकिन इसे पूरी तरह से एग्ज़िट पोल नहीं कहा जा सकता है.
उसके बाद 1980 में डॉक्टर प्रणय रॉय ने पहली बार एग्ज़िट पोल किया. उन्होंने ही 1984 के चुनाव में दोबारा एग्ज़िट पोल किया था.
उसके बाद 1996 में दूरदर्शन ने एग्ज़िट पोल किया. यह पोल पत्रकार नलिनी सिंह ने किया था लेकिन इसके आंकड़े जुटाने के लिए सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवेलपिंग स्टडीज़ (सीएसडीएस) ने फ़ील्ड वर्क किया था.
उसके बाद से यह सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन उस समय एक दो एग्ज़िट पोल होते थे, जबकि आजकल दर्जनों एग्ज़िट पोल्स होते हैं.
क्या दुनिया के दूसरे देशों में भी एग्ज़िट पोल किया जाता है?
भारत से पहले कई देशों में एग्ज़िट पोल होते रहे हैं. अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया समेत दुनिया भर के कई देशों में एग्ज़िट पोल होते हैं.
सबसे पहला एग्ज़िट पोल संयुक्त राज्य अमेरिका में 1936 में हुआ था. जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क शहर में एक चुनावी सर्वेक्षण किया, जिसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा गया कि उन्होंने किस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट दिया है.
इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया गया कि फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट चुनाव जीतेंगे.
रूज़वेल्ट ने वास्तव में चुनाव जीता. इसके बाद, एग्ज़िट पोल अन्य देशों में भी लोकप्रिय हो गए. 1937 में, ब्रिटेन में पहला एग्ज़िट पोल हुआ. 1938 में, फ्रांस में पहला एग्ज़िट पोल हुआ