भारत सहित दुनिया में मंदी का संकट मंडरा रहा है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले साल दुनिया भारी मंदी के संकट का सामना कर सकती है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब भारत सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है. लिहाजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इसपर एक जरूरी बैठक करने वाले हैं. दरअसल, इस महीने के आखिर में अर्थव्यवस्था और वाणिज्य के मुद्दों पर चर्चा के लिए पीएम मोदी मंत्रिपरिषद और सभी सचिवों से मुलाकात कर सकते हैं. इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है.
अधिकारियों ने बताया कि महीने के अंत में होने वाली ये बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह वर्ल्ड बैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट के मद्देनजर हो रही है, जो बताती है कि सेंट्रल बैंकों द्वारा मोनेटरी पालिसी को सख्त किए जाने के बीच दुनिया अगले साल भारी मंदी का सामना कर सकती है. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि लंबे वक्त से इस तरह की बैठकों में अर्थव्यवस्था और वाणिज्य पर कभी चर्चा नहीं की गई. हालांकि ये बैठक वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में होने जा रही है. अधिकारी ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव के होने में सिर्फ 20 महीने बाकी हैं. इससे पहले ये जरूरी बैठक हो रही है.
डेवलपमेंट और इन्वेंस्टमेंट को बढ़ावा देने का प्रयास
इस मीटिंग के उद्देश्यों में प्रायोरिटी वाले सेक्टर और पॉलिटिकल टास्क की पहचान करना भी शामिल है. उम्मीद है कि मंत्रिपरिषद और सभी सचिवों के साथ पीएम मोदी की ये बैठक 28 या फिर 30 सितंबर को हो सकती है. इस मीटिंग के दौरान पीएम मोदी दोनों क्षेत्रों (अर्थव्यवस्था और वाणिज्य के परिणामों की स्थिति का ब्यौरा ले सकते हैं. साथ ही डेवलपमेंट और नए इन्वेंस्टमेंट को और ज्यादा बढ़ावा देने के लिए नए टारगेट्स और डेडलाइन तय की जा सकती है. एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि इस बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी मंत्रियों और सचिवों को सूचना दे दी गई है. हालांकि अभी तक इन मुद्दों पर बैठक करने के लिए कोई एजेंडा सेट नहीं किया गया है.
सरकार पर बढ़ रहा राजनीतिक दबाव
वहीं, एक और सिर उठाता मुद्दा खुदरा मुद्रास्फीति है, जो अगस्त में बढ़कर 7 प्रतिशत हो गया है. ये लगातार 8वां महीना है, जब कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 6 प्रतिशत के निशान से ऊपर रहा, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के टॉलरेंस बैंड की अपर लिमिट है. गौरतलब है कि कई राज्यों में आगामी चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सरकार पर कई तरह के राजनीतिक दबाव बनने लगे हैं. विपक्षी दल कीमतों में वृद्धि और रसोई गैस सहित फ्यूल के बढ़ते दामों के मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में सरकार की मुश्किलें और उसपर दबाव बढ़ा है.