अगर आप 100 नंबर की परीक्षा देते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा कितने मार्क्स की उम्मीद कर सकते हैं? पेपर काफी अच्छा गया, तो 100 में से 100. लेकिन बिहार में कुछ स्टूडेंट्स को 100 फीसदी से कहीं ज्यादा मार्क्स मिले हैं. एक छात्र को 100 मार्क्स के पेपर में 555 नंबर मिले हैं. तो दूसरे को कुल 800 अंकों की परीक्षा में 868 अंक हासिल हुए हैं. ये मामला है बिहार की मुंगेर यूनिवर्सिटी का. विश्वविद्यालय का कहना है कि यह गलती से हुआ है. लेकिन ये गलती हुई कैसे, जब रिजल्ट कुलपति और परीक्षा नियंत्रक द्वारा चेक करने के बाद जारी किया गया? इसपर भी यूनिवर्सिटी का जवाब जानिए…
Munger University Result: क्या है मामला
दिलीप कुमार शाह बिहार में जमुई स्थित केके कॉलेज के छात्र हैं. यह कॉलेज मुंगेर यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है. रिपोर्ट के अनुसार, दिलीप ने हिस्ट्री ऑनर्स पार्ट 3 यानी ग्रेजुएशन फाइनल ईयर की परीक्षा दी थी. जब रिजल्ट आया तो पता चला कि उन्हें इतिहास के पेपर में 100 में से 555 नंबर मिले हैं. जबकि कुल मिलाकर 100% में से फाइनल मार्क्स 108.5% मिले हैं.
लेकिन ऐसा सिर्फ दिलीप के साथ ही नहीं हुआ. एक और स्टूडेंट को फुल मार्क्स से ज्यादा मिले हैं, जिसका रोल नंबर 118040073 है. इस छात्र को उसके ऑनर्स विषयों में कुल 800 अंकों की परीक्षा में 868 मार्क्स दे दिए गए. ये लापरवाही मुंगेर यूनिवर्सिटी ग्रेजुएशन सेशन 2018-21 के रिजल्ट में हुई है.
कैसे हुई इतनी बड़ी लापरवाही?
फाइनल रिजल्ट यूनिवर्सिटी के वीसी, प्रो वीसी और एग्जाम कंट्रोलर की मंजूरी के बाद वेबसाइट पर अपलोड किया गया. फिर भी इतनी बड़ी गलती नजरअंदाज कर दी गई. इस बारे में कुलपति श्यामा रॉय का कहना है कि ‘दो छात्रों की मार्कशीट में गलतियां हैं. ऐसा तकनीकि खामी के कारण हुआ है. इसे बाद में सुधार दिया गया और संशोधित रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.’
वीसी ने बताया कि ‘परीक्षा नियंत्रक रामाशीष पुर्बे को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. आगे से सभी एग्जाम रिजल्ट्स पब्लिश करते समय हर सावधानी बरती जाएगी.’
जब प्रश्नपत्र छापना भूल गई यूनिवर्सिटी
बिहार के विश्वविद्यालयों की लापरवाही का ये लगातार दूसरा मामला है. इससे पहले भागलपुर यूनवर्सिटी प्रश्नपत्र छापना ही भूल गई थी. एमए हिन्दी की दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स जब एग्जाम हॉल पहुंचे, तब पता चला की क्वेश्चन पेपर तो छपा ही नहीं है. प्रिंटिंग प्रेस के पास पेपर देर से भेजा गया, जिससे वह प्रिंट नहीं हो पाया. इसके बाद सभी स्टूडेंट्स को वापस घर भेज दिया गया था.