आईएनएस विक्रांत का नाम सुनते ही पाकिस्तान थर-थर कांपने लगता था। जब साल 1971 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई हुई तो आईएनएस विक्रांत ने अकेले ही पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। ये अकेला विमान ही पाकिस्तान को डराने के लिए काफी था। पीएम नरेंद्र मोदी ने कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को देशसेवा के लिए समर्पित कर दिया है।
2 सितंबर से महासगारों में विचरण की भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है। अब नौसेना को एक और विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत मिल गया है। इस स्वदेशी वायुयान वाहक का नाम भारत के पहले विमान वाहक पोत के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 36 साल की सर्विस के बाद 31 जनवरी 1997 में इसे रिटायर कर दिया गया था।
विक्रांत को 2014 में डिस्मेंटल किया गया था। इस दौरान उससे निकले मेटल और बाकी सामान को बेचा गया। बाइक कंपनी ने विक्रांत का मेटल खरीदकर उसे नए बाइक ब्रांड में तब्दील किया है। किस तरह आईएनएस विक्रांत का सफर शुरू हुआ और इसने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया, आईए बताते हैं आपको आईएनएस विक्रांत की पूरी कहानी।
देश का पहला विमान वाहक पोत था आईएनएस विक्रांत
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला विमान वाहक पोत था। एचएमएस हरक्युलिस नाम से जाने जाने वाले आईएनएस विक्रांत को रॉयल नेवी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तैयार किया था। भारत ने इसे ब्रिटेन के रॉयल नेवी से साल 1957 में खरीदा था। मैजेस्टिक श्रेणी के इस विमान वाहक पोत को साल 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था। आईएनएस विक्रांत साल 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की नौसेना के लिए बड़ी मुसीबत था। जनवरी साल 1997 में ये कहते हुए इसकी सेवा समाप्त कर दी गई कि पोत का रख-रखाव संभव नहीं है।
विक्रांत के स्क्रैप मेटल से तैयार की गई थी बाइक
आईएनएस विक्रांत के स्क्रैप मेटल से बजाज कंपनी ने बाइक बनाई थी। इस बाइक के फ्यूल टैंक के ऊपर एंकर के साइन के साथ मेड विद द इंविंसिबल मेटल ऑफ आईएनएस विक्रांत लिखा गया था। कंपनी ने इसे खास भारत के लिए बनाया था और एक्सपोर्ट नहीं करने की बात कही थी।
जहाज की खासियत
आईएनएस विक्रांत 25 नॉट्स यानी 25 समुद्री मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलता था। बाद में तकनीकी समस्याओं के कारण इसकी रफ्तार करीब 12 नॉट्स या 12 समुद्री मील प्रति घंटा हो गई। इस पोत को दो महावीर चक्र और 12 वीर चक्र मिल चुके हैं।
जानिए क्या थी आईएनएस विक्रांत की युद्ध में भूमिका
विक्रांत के कारण भारत का समुद्र में दबदबा बढ़ गया था। हालांकि इस पोत के एक बॉयलर्स में कुछ समस्या थी और सीमित रफ्तार में इसको काम करना पड़ता था, फिर भी 1971 में भारत-पाक युद्ध में इस विमान वाहक पोत के कारण पाकिस्तान के पसीने छूट गए थे। आईएनएस विक्रांत के सिर्फ नाम से ही पाकिस्तान के मन में इतना खौफ बस चुका था कि वह किसी भी हाल में इस विमान वाहक पोत को नष्ट करना चाहता था। साल 1971 के युद्ध के दौरान पाक की ओर से पनडुब्बी पीएनएस गाजी को इस्तेमाल करने का फैसला किया गया।
आईएनएस विक्रांत को यदि क्षति पहुंचती तो पाक सेना पर भारतीय सेना ने इस विमान वाहक पोत के जरिए जो मनोवैज्ञानिक खौफ पैदा किया था वह खत्म हो जाता। भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को चकमा दिया और आईएनएस राजपूत को आईएनएस विक्रांत बनाकर पेश किया। जब पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी ने आईएनएस राजपूत पर विक्रांत समझकर हमाल किया तो आईएनएस राजपूत ने गाजी को तबाह कर दिया था।