सीतामढ़ी। ये है जिला मुख्यालय डुमरा का प्राथमिक सुशासन स्वास्थ्य केंद्र। जिलाधिकारी आवास के ठीक सामने ही अवस्थित है। बावजूद साधन-संसाधन का रोना है। स्वास्थ्य सुविधा में सुधार के लिए तमाम प्रयासों के बीच ये अस्पताल अर्से से उपेक्षित है। यहां डाक्टर-कंपाउंडर गिनती के ही रह गए हैं। ड्रेसर व कंपाउंडर के अभाव में यहां मरीजों का मरहमपट्टी व स्लाइन चढ़ाने का काम एंबुलेंस के एमटी व जीएनएम के भरोसे रहता है।
डुमरा प्रखंड की लगभग पांच लाख की आबादी इस अस्पताल पर निर्भर है। बावजूद ये हाल देख व्यवस्था पर रोना आता है। दो ड्रेसर पदस्थापित हैं। उनमें से एक रुन्नीसैदपुर में प्रतिनियुक्त पर है, दूसरा कोल्ड चैन डिपो में। चतुर्थवर्गीय कर्मी तीन अन्य अधिकारियों के यहां ड्यूटी बजाते हैं।
कहने को यहां 9 चिकित्सक कार्यरत हैं। इनमें से दो डॉक्टर सितंबर माह से तो एक नवंबर माह से लगातार छुट्टी पर हैं। तीन अन्य स्टडी लिव के नाम पर छुट्टी पर चल रहे हैं। ऐसे में तीन ही रोटेशन पर ड्यूटी निभा पाते हैं। सिविल सर्जन डा. सुरेश चंद्र लाल का कहना है कि देखिए वहां की स्थिति हमारे संज्ञान में है। सरकार को व्यवस्था से अवगत कराया जा चुका है। चिकित्सकों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है। जल्द समस्या का निदान निकलने की उम्मीद है। चिकित्सकों की ड्यूटी रोटेशन पर, इधर संभलता तो उधर बिगड़ता
चिकित्सकों की ड्यूटी रोटेशन पर होने से इधर कार्य संभलता तो उधर बिगड़ने लगता है। नौ में से एक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. धनंजय कुमार व डा. निखिल रंजन के अलावा दो अन्य तीन-तीन दिन के रोटेशन ड्यूटी निभाते हैं। इन दोनों की तैनाती भी टेली मेडिसिन व लेप्रोसी डिपार्टमेंट में की गई है। ऐसे में 24 घंटे के तीन रोस्टर ड्यूटी में आयुष चिकित्सकों की सेवा लेकर ड्यूटी पूरी कराई जाती है, मगर उनके यहां आ जाने से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राघोपुर बखरी, पकटोला व मेहसौल में व्यवस्था बाधित हो जाती है। जिला मुख्यालय का अस्पताल होने के चलते यहां की व्यवस्था संभालने के लिए वहां से हटाकर रोस्टर ड्यूटी पूरा करने के लिए उन्हें यहां ड्यूटी दे दी जाती है। आयुष चिकित्सकों को वहां से बुला लिए जाने के कारण तीन जीएनएम दो दिन ही केंद्र खोल पाते हैं।
इधर, दो सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों के भरोसे चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। ऐसे में इन सभी जगहों पर इलाज का सहज अंदाजा लग जाता है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बताते हैं कि बेशक साधन-संसाधन सीमित हैं मगर इलाज में किसी प्रकार से कोई चूक नहीं होने देने का हर संभव प्रयास किया जाता है। जो कर्मी यहां पदस्थापित हैं, वे मुस्तैदी से ड्यूटी निभाते हैं। कर्मियों की कमी की भरपाई के लिए वरीय अधिकारियों से बार-बार आग्रह किया जाता है।
82 स्वीकृति कर्मी के विरूद्ध मात्र 39 कर्मी कार्यरत:: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डुमरा में यूं तो स्वीकृत 82 कर्मियों के विरुद्ध 39 अस्पताल कर्मियों की पोस्टिग की गई है लेकिन काम करने के लिए मात्र 21 स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत दिखते हैं। यहां ना तो ड्रेसर है नहीं कंपाउंडर मरीजों की मरहम पट्टी, या ड्रेसिग के काम के लिए एंबुलेंस के ईएमटी या जीएनएम की जरूरत पड़ती है। संविदा कर्मी भी प्रतिनियुक्ति पर :: डुमरा में जांच के लिए छह संविदाकर्मी तैनात हैं। इनमें से चार अन्य जगह पर प्रतिनियोजित हैं। केवल दो कर्मी के सहारे यहां मरीजों का जांच का जिम्मा रहता है। स्वाभाविक है मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। तीन में से दो महिला चिकित्सक स्टडी लिव पर : यहां कहने को तीन महिला चिकित्सक पदस्थापित हैं। जिनमें दो स्टडी लिव पर हैं। इस कारण महिला मरीजों के इलाज भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
स्रोत दैनिक जागरण