बीजेपी ने रविवार को संगठनात्मक स्तर पर बड़ा बदलाव किया है. पार्टी ने बिहार सरकार में मंत्री और बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक नितिन नबीन को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से सहमति मिलने के साथ ही यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. जेपी नड्डा के विकल्प तौर पर नितिन नबीन को चुनकर पार्टी ने एक बार फिर से सभी को चौंका दिया है. खुद नितिन नबीन को इसकी भनक नहीं लगने पाई. दिल्ली में आज (सोमवार, 15 दिसंबर) सुबह 11 बजे पार्टी मुख्यालय में नितिन नबीन का स्वागत समारोह होगा. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और जेपी नड्डा समेत तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे.
बता दें कि जेपी नड्डा के बाद बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए शिवराज सिंह चौहान, निर्मला सीतारमण, मनोहर लाल खट्टर और केशव प्रसाद मौर्य जैसे दिग्गज नेताओं के नाम की काफी चर्चा हो रही थी. हालांकि, अंत में पार्टी ने नितिन नबीन के नाम की घोषणा करके सभी को चौंका दिया. नितिन नबीन को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. पार्टी ने उनकी ताजपोशी उसी दिन की, जिन दिन कांग्रेस ने रामलीला मैदान में ‘वोट चोर- गद्दी छोड़’ रैली का आयोजन किया था. नितिन नबीन जैसे नेता को पार्टी की जिम्मेदारी देने का मतलब साफ है कि बीजेपी में जेनरेशन नेक्स्ट का काल शुरू हो चुका है.
कौन हैं नितिन नबीन?
45 साल के नितिन नबीन कायस्थ जाति से आते हैं. बिहार की बांकीपुर सीट से पांचवी बार जीत हासिल करके विधानसभा पहुंचे और नीतीश सरकार में पथ निर्माण मंत्री बने. बता दें कि साल 2006 में नितिन नबीन पटना वेस्ट विधानसभा सीट से पहली बार उपचुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. वे महज 26 साल की उम्र में बिहार विधानसभा के सदस्य बन गए थे और अब इतनी कम उम्र में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे. उनके पिता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा पार्टी के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते थे. नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने युवाओं को आकर्षित करने वाला दांव चला है.
नितिन नबीन के सामने क्या चुनौती?
नितिन नबीन को सत्ता और संगठन दोनों का सियासी अनुभव है. उन्होंने एबीवीपी से अपनी सियासी पारी का सफर शुरू किया और युवा मोर्चा के महामंत्री से छत्तीसगढ़ के प्रभारी के तौर पर काम किया. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2023 का छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव है. भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को वापसी की पूरी उम्मीद थी. वहीं बीजेपी ने नितिन नबीन को छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त किया. नितिन ने भी दिन-रात एक कर दिए और बूथ लेवल पर जाकर संघर्ष किया. उनके माइक्रो-मैनेजमेंट से बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की. अब नितिन नबीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती बंगाल फतह होगी, क्योंकि मोदी-शाह के कार्यकाल में पार्टी को बंगाल में कामयाबी नहीं मिल पा रही है. पार्टी ने पिछला चुनाव काफी आक्रामक तरीके से लड़ा था, लेकिन ममता बनर्जी से कुर्सी छीनने में नाकाम रही थी. पश्चिम बंगाल में कायस्थ वोटर काफी अहम माने जाते हैं. ऐसे में नितिन नबीन के जरिए पश्चिम बंगाल को भी सियासी संदेश देने की कवायद की गई है.

