प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है. जांच एजेंसी ने ए राजा की 55 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति जब्त कर ली है. ED ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में 45 एकड़ जमीन की अस्थायी कुर्की की है.
जब्ती की कार्रवाई के बाद ED ने इसे ए राजा की बेनामी संपत्ति बताया है. ए राजा को एक स्थानीय कोर्ट ने 10 जनवरी 2023 को कोर्ट में पेश होने का आदेश भी दिया है. हालांकि, ये आदेश आय से अधिक संपत्ति के मामले में दिया गया है. पूर्व मंत्री के खिलाफ 2015 में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था. बता दें कि ए राजा 2004 से 2007 की अवधि के दौरान पर्यावरण और वन मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री रहे हैं.
बेनामी संपत्ति क्या है?
कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदने के लिए भुगतान तो करता है, लेकिन उसे वो अपने नाम से नहीं खरीदता, तो ऐसी संपत्ति को बेनामी कहा जाता है और ये बेनामी लेन-देन के दायरे में आता है.लेकिन इसमें शर्त ये है कि संपत्ति खरीदने के लिए जो पैसा लगा है, वो उसकी कमाई के ज्ञात स्रोतों से बाहर का होना चाहिए. फिर चाहे वो भुगतान सीधे तौर पर किया गया हो या घुमा-फिराकर.
अगर खरीदार अपने परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर संपत्ति खरीदता है तो भी ये बेनामी संपत्ति ही कहलाएगी.लेकिन, अगर पत्नी, बच्चों, भाई या बहन के नाम पर कोई संपत्ति खरीदी गई है और उसका भुगतान ज्ञात स्रोतों से किया गया हो तो वो बेनामी नहीं कहलाएगी. ज्ञात स्रोत वो होते हैं जिनका जिक्र आयकर रिटर्न में किया जाता है.
ऐसे शुरू हुआ सियासी सफर
आंदिमुथू राजा का कविता के प्रति प्रेम उन्हें द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि के करीब लाया था और यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई. राजा को राजनीतिक जीवन में काफी सफलताएं मिली. वह 1999 में महज 35 साल की उम्र में राजग सरकार में केंद्रीय मंत्री बन गये थे. इसके बाद वह केंद्र में राजग और संप्रग दोनों ही सरकारों में मंत्री पद पर रहे.
मई 2007 में वह संचार मंत्री बने और 2जी घोटाले में आरोपों के बावजूद फिर से इस पद पर काबिज हुए. इस पद की दौड़ में कलानिधि मारन भी थे लेकिन दलित द्रमुक नेता होने तथा करुणानिधि के करीबी होने का फायदा राजा को मिला.