बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि एनडीए की ओर से क्या नीतीश कुमार के अलावा कोई और मुख्यमंत्री होगा या फिर बीजेपी अपनी पार्टी से किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाएगी। इन अटकलों ने इस बात को इसलिए बल दे दिया क्योंकि एनडीए में भाजपा (89) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी ने जदयू (85) से ज्यादा सीटें हासिल की हैं।
इन्हीं अटकलों के बीच अब जदयू नेता श्याम रजक का बयान सामने आया है। श्याम रजक ने कहा कि नीतीश कुमार के अलावा दूसरा कोई मुख्यमंत्री नहीं होगा। किसी दूसरे के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है। जदयू नेता ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि पहले ही कहा था फिर से नीतीश, 2025।
वहीं, इससे पहले शुक्रवार को नीतीश कुमार ने एनडीए की जीत पर बिहारवासियों को बधाई दी थी। नीतीश कुमार ने एक पोस्ट में लिखा, ” बिहार विधान सभा चुनाव-2025 में राज्यवासियों ने हमें भारी बहुमत देकर हमारी सरकार के प्रति विश्वास जताया है। इसके लिए राज्य के सभी सम्मानित मतदाताओं को मेरा नमन, हृदय से आभार एवं धन्यवाद।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लिखा था कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को उनसे मिले सहयोग के लिए उनका नमन करते हुए हृदय से आभार एवं धन्यवाद।
नीतीश कुमार ने आगे लिखा था कि एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में पूरी एकजुटता दिखाते हुए भारी बहुमत हासिल किया है। इस भारी जीत के लिए एनडीए गठबंधन के सभी साथियों- श्री चिराग पासवान जी, श्री जीतन राम मांझी जी एवं श्री उपेन्द्र कुशवाहा जी को भी धन्यवाद एवं आभार।
नीतीश कुमाक की सबसे बड़ी ताकत क्या है?
नीतीश कुमार को समर्थन देने वाले कारकों की बात करें, तो उसमें कई चीजें शामिल है। जैसे- सामाजिक सद्भाव और जातिगत संतुलन। नीतीश की सबसे बड़ी ताकत विभिन्न जातियों और धर्मों को साथ लेकर चलने की क्षमता है। संख्यात्मक रूप से उनकी कुर्मी जाति की आबादी भले ही कम हो (लगभग 3%), लेकिन वे उन जातियों के बीच लोकप्रिय हैं जो पारंपरिक रूप से किसी एक पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध नहीं मानी जाती हैं, जैसे हिंदू में सवर्ण, कुशवाहा, पासवान, मुसहर और मल्लाह. उनकी पकड़ उन मुस्लिम मतदाताओं में भी बनी हुई है, जिन्हें आमतौर पर भाजपा के खिलाफ माना जाता है।
बता दें, नीतीश कुमार पहली बार नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, वह विधानसभा के रास्ते नहीं, बल्कि विधान परिषद के रास्ते सीएम बने थे।

