सीतामढ़ी। नगर निगम में मंगलवार को बुलाई गई बोर्ड की बैठक विवाद और हंगामे की भेंट चढ़ गई। मेयर रौनक जहां परवेज की अध्यक्षता में आहूत यह बैठक शुरू होने से पहले ही पार्षदों के भारी बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन के कारण भंग हो गई। बैठक का एजेंडा जल संकट, स्ट्रीट लाइट की समस्या, जलजमाव, सफाई व्यवस्था और निगमकर्मियों के बकाया भुगतान जैसे 12 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर केंद्रित था। लेकिन पार्षदों और मेयर के बीच तकरार इतनी बढ़ गई कि सदन का माहौल रणक्षेत्र जैसा बन गया। बैठक से पहले ही 31 पार्षदों के समूह ने सीमांत शेखर के नेतृत्व में बैठक के एजेंडा पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि पार्षदों द्वारा 26 जुलाई को सौंपे गए प्रस्तावों को एजेंडा में शामिल नहीं किया गया।
उनका कहना था कि मेयर अपने मनमाने ढंग से बैठक चलाती हैं और केवल अपनी पसंद के प्रस्तावों को एजेंडे में स्थान देती हैं। नाराज पार्षदों ने बैठक से बहिर्गमन कर दिया और सदन परिसर में नारेबाजी व विरोध प्रदर्शन करने लगे। मेयर का पलटवार: मनमानी नहीं, नियम के तहत हो रहा काम विवाद पर मेयर रौनक जहां परवेज ने सफाई देते हुए कहा कि बैठक बुलाने का पत्र उन्होंने 22 जुलाई को ही नगर आयुक्त और नगर सचिव को दे दिया था। ऐसे में 26 जुलाई को दिए गए प्रस्तावों को एजेंडा में शामिल नहीं किया जा सकता। मेयर ने पार्षदों पर आरोप लगाया कि वे नियमों से हटकर कार्यवाही कराना चाहते हैं, जबकि नगरपालिका अधिनियम स्पष्ट करता है कि बोर्ड की बैठक में केवल एजेंडा में सूचीबद्ध बिंदुओं पर ही चर्चा हो सकती है।
मेयर ने कहा कि पार्षद सीमांत शेखर द्वारा जिन तीन योजनाओं पर चर्चा की मांग की गई थी, वे भी 26 जुलाई को प्रस्तावित की गई थीं। जबकि बैठक की रूपरेखा 22 जुलाई को ही तय हो चुकी थी। साथ ही एक ही बात बार-बार बैठक में चर्चा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वर्तमान समय में शहर को सबसे बड़ी समस्या जल संकट की है और इसी विषय पर प्राथमिकता से चर्चा होनी चाहिए थी। इसका ध्यान पार्षदों ने नहीं दिया। वहीं बैठक में बिना अनुमति के कुछ पार्षद के पति या प्रतिनिधि में आ जा रहे हैं। जो हंगामा करवा रहे हैं। एमएलसी बंशीधर बृजवासी का हस्तक्षेप: लोकतंत्र में भेदभाव नहीं चलेगा बैठक में पहली बार शामिल हुए तिरहुत स्नातक क्षेत्र के एमएलसी बंशीधर बृजवासी ने बैठक रद्द होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि 31 पार्षदों के प्रस्तावों को नजरअंदाज करना गलत है। मेयर को सभी पार्षदों को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि वह सभी की अभिभावक हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी की बात सुनी जाती है और वार्ड पार्षद जनता के प्रतिनिधि होते हैं। उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। एमएलसी ने नगर निगम में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि निगम में कामकाज की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि उन्होंने 35 से अधिक असंतुष्ट पार्षदों से जनसंवाद किया है और सबका एक ही आरोप है कि सफाईकर्मी केवल हाजिरी बनाते हैं और काम किए बिना चले जाते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि नगर निगम को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे सफाई कर्मचारी समय पर उपस्थित होकर शहर की साफ-सफाई सुनिश्चित करें। पार्षदों का आरोप: मनमानी से नहीं चलेगा नगर निगम विरोध प्रदर्शन कर रहे अंशुल प्रकाश,ललन प्रसाद, सुरेन्द्र साह,कविता कुमारी आदि पार्षदों ने मेयर पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाया जा रहा है और मनमानी तरीके से एजेंडा तैयार किया जा रहा है। पार्षदों का यह भी कहना है कि जब तक उनकी बातों को एजेंडा में शामिल नहीं किया जाएगा और सभी विषयों पर खुलकर चर्चा नहीं होगी, तब तक वे बैठक का हिस्सा नहीं बनेंगे।
