बिहार के सीतामढ़ी जिले में इन दिनों एक मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। वह मुद्दा है प्रखंड प्रमुख (ब्लॉक प्रमुख), उपप्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का। करीब-करीब सभी प्रखंडों में पंचायत समिति सदस्यों की ओर से प्रमुख और उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। ध्यान रहे कि कुर्सी से हटाने के लिए पंचायत समिति सदस्यों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है, जिसपर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुलाई जाती है। कई प्रखंडों में अविश्वास प्रस्ताव पर विशेष बैठक हुई है और कुर्सी बच गई है, तो कहीं विशेष बैठक होनी वाली है। कुछ प्रखंडों में गहरा पेच फंसा हुआ है। इनमें से एक प्रखंड परसौनी भी है। यहां के प्रमुख और उप प्रमुख के खिलाफ भी सदस्यों के की ओर से अविश्वास व्यक्त किया गया था। दोनों की कुर्सी खतरे में पड़ गई थी। इस बीच, हाईकोर्ट के एक आदेश से फिलहाल दोनों की कुर्सी बच गई है। अविश्वास का प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्यों को निराश होना पड़ा है।
10 में से छह सदस्य का अविश्वास
परसौनी प्रखंड में पंचायत समिति सदस्यों का दो गुट है। एक गुट में छह, तो दूसरे गुट ने चार सदस्य है। छह सदस्यों की ओर से तीन जनवरी को प्रमुख गायत्री देवी और उप प्रमुख मीना देवी को कुर्सी से बेदखल करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसपर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुलाने की मांग की गई थी। अविश्वास की खबर मिलते ही प्रमुख और उपप्रमुख को एक तरह से ‘कुर्सी’ हाथ से निकलने का अहसास हो गया था। कारण कि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बहुमत अधिक था। बहरहाल, उपप्रमुख के हवाले से बीडीओ की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 9 जनवरी 24 को पत्र निर्गत किया गया और सभी सदस्यों को 16 जनवरी को विशेष बैठक होने की जानकारी दी गई।
बीडीओ के पत्र को हाईकोर्ट में चुनौती
बीडीओ का विशेष बैठक का पत्र मिलते ही प्रमुख को अजीब लगा। उन्होंने बीडीओ के उक्त पत्र में लिखी बातों को सीधे हाईकोर्ट में चुनौती दी। गत बुधवार को कोर्ट में वाद दायर किया गया था। शुक्रवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 9 जनवरी को निर्गत बीडीओ के पत्र के आलोक में कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही 16 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव पर विशेष बैठक पर भी रोक लग गई। इससे प्रमुख और उप प्रमुख राहत महसूस कर रही होंगी, तो अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले सदस्यों को निराशा हाथ लगी है।
हाईकोर्ट में प्रमुख की दलील
हाईकोर्ट में दायर वाद के पक्ष में प्रमुख की दलील थी कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का आधार सही नहीं है। उन्होंने किरण सिन्हा बनाम बिहार सरकार के मामले में पूर्व में पारित आदेश का हवाला दिया। बताया कि तीन जनवरी को अविश्वास का पत्र उन्हें (प्रमुख) नहीं सौंपा गया, जबकि उक्त तिथि को वह प्रखंड कार्यालय स्थित कार्यालय कक्ष में मौजूद थी। सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव बीडीओ को दिया था। बीडीओ ने अनुसेवी के माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव की एक प्रति उपलब्ध कराया था। वह प्रति भी मूल नहीं, बल्कि छायाप्रति थी।
छायाप्रति वाला प्रस्ताव स्वीकार नहीं
छायाप्रति वाले अविश्वास प्रस्ताव को प्रमुख गायत्री देवी ने स्वीकार नहीं की। इसकी जानकारी उन्होंने हाईकोर्ट को भी दी है। प्रमुख ने हाईकोर्ट को बताया कि गत मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर विशेष बैठक का बीडीओ के स्तर से निर्गत पत्र उन्हें उपप्रमुख के माध्यम से प्राप्त हुआ, जो नियम संगत नही है। प्रथम दिन की सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने बीडीओ के 8 जनवरी को निर्गत उस पत्र के आलोक में कार्रवाई पर रोक लगा दिया है, जिसके माध्यम से विशेष बैठक की तिथि निर्धारित की गई थी। आदेश से फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली विशेष बैठक पर रोक लग गई है।
बीडीओ सह कार्यपालक पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट से पारित आदेश की कॉपी सभी सदस्यों को उपलब्ध करा दी गई है। वहीं, इसके आलोक में आगे की कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी से दिशा निर्देश मांगा गया है।