भारत की स्वर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर अब इस दुनिया में नहीं रहीं। लता मंगेशकर ने की 92 वर्ष की उम्र में 6 फरवरी की सुबह आखिरी सांस ली। लता मंगेशकर बीते 28 दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ने तब बताया था कि लता दी को कोरोना और निमोनिया हो गया था। हालांकि बीच में लता मंगेशकर की सेहत में सुधार होने लगा था और उन्हें वेंटिलेटर से भी हटा दिया गया था।
लेकिन शनिवार को उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया। पूरा देश लता मंगेशकर के ठीक होकर घर लौटने की दुआ मांग रहा था। किसे पता था कि रविवार की सुबह एक दुखभरी खबर लेकर आएगी।
लता मंगेशकर का इलाज कर रहे ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉ. प्रतीत समदानी ने बताया कि रविवार 6 फरवरी को सुबह 8:12 मिनट पर लता जी का निधन हो गया। उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर का निमोनिया और कोरोना के बाद मल्टिपल ऑर्गन फेल्यिर हुआ। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
लता मंगेशकर के निधन से पूरे फिल्मी जगत में सन्नाटा पसर गया है। अक्षय कुमार से लेकर भूमि पेडनेकर, निमृत कौर, विशाल ददलानी, दीया मिर्जा और हंसल मेहता समेत कई सिलेब्रिटीज ने लता जी को श्रद्धांजलि दी है। लता मंगेशकर का अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान किया जाएगा। लता जी के निधन पर दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।
काफी दिनों से खराब थी तबीयत
जनवरी में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में वह न्यूमोनिया से पीड़ित हो गईं। हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनकी हालत में सुधार के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट भी हट गया था। लेकिन 5 फरवरी को उनकी स्थिति बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। आखिरकार, 6 फरवरी को ‘स्वर कोकिला’ ने आखिरी सांस ली।
‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’ गाने से लता ने कर दिया था इनकार
लता मंगेशकर के गाए सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’। पहले लता ने कवि प्रदीप के लिखे इस गीत को गाने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह रिहर्सल के लिए वक्त नहीं निकाल पा रही थीं। कवि प्रदीप ने किसी तरह उन्हें इसे गाने के लिए मना लिया। इस गीत की पहली प्रस्तुति दिल्ली में 1963 में गणतंत्र दिवस समारोह पर हुई। लता इसे अपनी बहन आशा भोसले के साथ गाना चाहती थीं। दोनों साथ में इसकी रिहर्सल कर भी चुकी थीं। मगर इसे गाने के लिए दिल्ली जाने से एक दिन पहले आशा ने जाने से इनकार कर दिया। तब लता मंगेशकर ने अकेले ही इस गीत को आवाज दी और यह अमर हो गया।
अटल की यह बात सुनकर हैरान रह गई थीं लता
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लता मंगेशकर एक-दूसरे का बहुत सम्मान करते थे। लता उन्हें दद्दा कहती थीं। दोनों से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। लता मंगेशकर ने अपने पिता के नाम पर खोले दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल के उद्घाटन समारोह में अटल को भी आमंत्रित किया था। जब उन्होंने समारोह के अंत में अपना भाषण दिया, तो बोले- ‘आपका हॉस्पिटल अच्छा चले, मैं ऐसा आपसे नहीं कह सकता। ऐसा कहने का मतलब है कि लोग बहुत बीमार पड़ें।’ ऐसा सुनकर लता हैरान रह गईं और कुछ नहीं कह पाईं।
लता मंगेशकर सुर सम्राज्ञी मानी जाती हैं और हर गायक या गायिका उन्हें अपनी प्रेरणा मानता है. 25 हज़ार से ज्यादा गाने गा चुकीं लता के लिए संगीतकार इंतज़ार करते थे और अपनी फिल्मों के गानों को रोक कर रखते थे. लेकिन ये हमेशा से ऐसा नहीं था, लता मंगेशकर भले ही मंगेशकर परिवार से आती थीं और उनकी आवाज़ में एक अलग बात थी, उन्हें भी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था. 13 साल की उम्र में पिता की मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारी लता के कंधो पर आ गिरी और उन्होंने फिल्मों में रोल भी किए और गानों में आवाज़ भी दी. लेकिन आते ही उन्हें हाथों हाथ नहीं लिया गया था.
लता ने जब बॉलीवुड का रुख किया तो उस समय शमशाद बेगम और नूर जहां जैसी गायिकाओं का दौर था और महिलाओं की आवाज़ों को थोड़ा भारी होना एक आकर्षण माना जाता था. ये एक आम राय थी कि भारी आवाज़ में ही महिलाएं अच्छा गाती हैं और लता की आवाज़ को ‘पतली’ करार दे दिया गया था.
किस्सा कुछ यूं है कि लता मंगेशकर कुछ फिल्मों में गाना गा चुकीं थी. इस दौरान वो एक्टिंग भी कर रहीं थी लेकिन उनकी आवाज़ में बचपना था. ऐसे में संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने उनको ट्रेन किया और आवाज़ को परिपक्व करने में मदद की लेकिन इस दौरान लता को मिला उनका पहला रिजेक्शन. बॉलीवुड के मशहूर मुखर्जी परिवार (काजोल, रानी मुखर्जी, जॉय मुखर्जी) से संबंद्ध निर्माता एस. मुखर्जी ने एक बार लता की आवाज़ को ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि इसकी आवाज़ मेरी हीरोइन के लिए फिट नहीं है. दरअसल लता को ग़ुलाम हैदर शशधर मुखर्जी के पास लेकर गए थे. हैदर साहब को उम्मीद थी की शशधर उन्हें न नहीं कहेंगे लेकिन तुमसा नहीं देखा, दिल देके देखो और मुनीम जी जैसी हिट फिल्मों के निर्माता शशधर ने लता को पहली ही बार में बाहर कर दिया था
इस बात से दुखी होकर हैदर साहब ने खुद अपनी फिल्म में लता से प्लेबैक करवाया और वो सुपरहिट साबित हुईं. ये भी अपनेआप में एक ट्रिविया ही है कि लता को कभी ‘पतली’ आवाज़ कहकर रिजेक्ट कर देने वाले शशधर मुखर्जी की फिल्म‘मुनीम जी’ में लता ने 6 गाने गाए और वहीं गीता दत्त को इस फिल्म में 3 ही गाने मिले. हालांकि इसके बाद शशधर मुखर्जी की फिल्मों में लता ने कम ही गाना गाया और उनकी बहन आशा भोंसले ने एस मुखर्जी की फिल्मों में काम किया. लेकिन लता ने हैदर साहब की बात को पूरा किया कि एक दिन यही पतली आवाज़ वाली लड़की तुम्हारी फिल्मों के गाने गाएगी और निर्माता इसके घर के बाहर लाइन लगा कर खड़े होंगे.