ओडिशा में हुआ दर्दनाक हादसा शायद कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। इस हादसे में 288 लोगों की जान चली गई और लगभग 1000 लोग घायल हुए। रेल हादसों के इतिहास में यह तीसरा सबसे बड़ा हादसा है। इस हादसे के बाद के घटनास्थल के कई फोटो और वीडियो इतने मार्मिक हैं कि उन्हें देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इस हादसे के बाद सेफ्टी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इतना बड़ा हादसा किसकी गलती से हुआ है, यह अभी तक तय नहीं है। लेकिन इस हादसे से रेलवे ने सबक लिया है। इस हादसे के बाद एक शब्द ‘कवच’ का जिक्र खूब हो रहा है। अब इसे लेकर ही रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बड़ा अपडेट दिया है।
अगले साल तक सभी ट्रेनों में लग जाएगा कवच
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने शनिवार को सूचित किया ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (टीसीएएस) या कवच, जिसे पिछले साल परीक्षणों के लिए शुरू किया गया था, अगले साल ट्रेनों में स्थापित होने की संभावना है। रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि तकनीक देश भर में शुरू की गई है और इसे कई रेलवे लाइनों में उपयोग के लिए भी मंजूरी दी गई है।
क्या है कवच?
भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए बनाई गई स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली को ‘कवच’ का नाम दिया है। कवच भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा एक स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी (एंटी ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली है। भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन में सुरक्षा के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दक्षिण मध्य रेलवे ने मार्च 2022 में इसका परीक्षण किया था। यह सम्पूर्ण सुरक्षा स्तर-4 मानकों की एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है।
कैसे काम करेगा कवच?
रेल मंत्रालय की मानें तो कवच न केवल लोको पायलट को सिग्नल पासिंग एट डेंजर (एसपीएडी) और ओवर स्पीडिंग से बचने में मदद करेगा बल्कि खराब मौसम जैसे घने कोहरे के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद करेगा। इस प्रकार, कवच ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाएगा। कवच ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने और टक्कर रोकने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए है। यदि चालक गति सीमा के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय करता है। इसके अलावा, यह ऐसे दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकता है जिनमें कवच प्रणाली काम कर रही है।