बिहार में इंटर में कृषि की पढ़ाई करने वाले छात्रों की रुचि लगातार बढ़ रही है। पहले दिन से यहां सीटें फूल हो जाती हैं। इसका कारण है कि यहां कृषि के साथ इंटर करने वाले छात्र के लिए आगे भी कृषि की पढ़ाई करने की बाध्यता नहीं है। वह मेडिकल या इंजीनियरिंग में भी जा सकते हैं। अगर आगे भी कृषि के साथ ही पढ़ना है तो राज्य के कॉलेजों में उनके लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहती हैं। कृषि के विषय में पराली प्रबंधन को भी विषय के रूप में जोड़ा जाएगा।
राज्य सरकार ने पांच साल पहले राज्य के स्कूलों में इंटर में कृषि की पढ़ाई शुरू की तो यह देश में एक मिसाल बन गया। दूसरे राज्यों में जहां भी इंटर में कृषि की पढ़ाई होती है वहां छात्रों को आईएससी (एजी) का प्रमाण पत्र मिलता है, जबकि बिहार में सिर्फ आईएससी का। यही कारण है कि पहले दूसरे राज्यों में इंटर में कृषि की पढ़ाई करने वाले हजारों बिहारी छात्र बेरोजगार रह जाते थे। बीएससी एजी में नामांकन की परीक्षा में वह सफल नहीं हो पाये तो आगे कोई दूसरा विकल्प नहीं था। लेकिन बिहार सरकार ने इस खामियों को दूर कर नई पहल शुरू की तो छात्रों की भीड़ लग गई।
राज्य सरकार ने पांच साल पहले हर जिले के एक स्कूल में कृषि की पढ़ाई शुरू की। हर स्कूल से 60 छात्रों का नामांकन कृषि विषय के साथ होता है। इंटर में छात्रों को तीन विषय का चयन करना होता है। एक विषय अगर वह कृषि का लेते हैं तो दो अन्य विषय भी लेना होता है।
बिहार में कृषि की पढ़ाई की यही विशेषता है। यहां ऐसे छात्रों को आईएसएसी का सर्टिफिकेट मिलता है। लिहाजा वह मेडिकल और इंजीनियर की परीक्षा भी दे सकते हैं। बीएससी एजी में नामांकन कराना हो तो वहां भी उनके लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहती हैं। ऐसे में बिहारी छात्रों की राह बंद नहीं होती है। यहां के छात्रों के लिए आईएससी में कृषि सिर्फ एक विषय होता है पूरा स्ट्रीम नहीं।