अयोध्या में भगवान राम अपने बाल रूप में विराजमान होंगे। पांच वर्ष के बालक की उनकी छवि को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विशेष वस्त्र और आभूषण भी तैयार किए गए हैं, जो भगवान को समय-समय पर पहनाए जाएंगे। चूंकि, राम लला बाल रूप में हैं और बच्चे के लिए दूध बहुत आवश्यक होता है, भगवान को दूध पीने के लिए दिल्ली के महंत मंगलदास राम मंदिर को पांच विशेष गाय अर्पित करेंगे। इन गायों का चयन पौराणिक रूप से उनकी विशेष मान्यता के आधार पर किया जा रहा है।
महंत मंगलदास ने अमर उजाला को बताया कि वे भी भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन समारोह में जा रहे हैं। वे भगवान को पांच विशेष गायें अर्पित करेंगे, जिनके दूध से उनकी सेवा होगी। उन्होंने कहा कि इन गायों में एक कपला मृगनयनी गाय है। इस गाय की आंखों को सबसे ज्यादा खूबसूरत माना जाता है। जब रावण ने सीता का अपहरण किया था, तब राम ने लोगों से उनका पता पूछते हुए सीता की आंखों की सुंदरता का वर्णन इसी गाय की आंखों से की थी। संत कवि तुलसीदास ने इसे ही ‘हे खग मृग, हे मधुकर श्रेणी, तुम देखी सीता मृगनयनी’ कहा है।
विशेष रथों से अयोध्या पहुंचेंगी ये गाय
उन्होंने बताया कि इन गायों की आंखों की सुंदरता और उनके पौराणिक महत्व के कारण उन्होंने इस गाय को भगवान राम को अर्पित करने का निर्णय लिया। अभी इन गायों को दिल्ली के राधा कृष्ण मंदिर की गौशाला में रखकर उनकी सेवा की जा रही है। उद्घाटन कार्यक्रम के बाद विशेष रूप से तैयार किए जा रहे रथों से ले जाकर इन्हें अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा।
कृष्ण की आंखों के समान धब्बे वाली गाय
दान में दी जाने वाली गायों में नागौरी प्रजाति की एक विशेष किस्म की गाय भी है। इस गाय की विशेषता है कि इनके शरीर पर विशेष काले रंग के धब्बे होते हैं। कहा जाता है कि ये धब्बे इन गायों के शरीर पर केवल छह महीने के लिए आते हैं। जब देवोत्थान एकादशी (देव उठनी एकादशी) होती है, तब ये काले धब्बे गायों के ऊपर आ जाते हैं, और जब देवशयनी एकादशी आती है, तब प्राकृतिक तरीके से ये धब्बे गायब हो जाते हैं।
महंत मंगलदास ने कहा कि इन गायों को भगवान कृष्ण की आंखें माना जाता है। जब तक देव जागृत अवस्था में रहते हैं, ये आंखें (काले धब्बे) गायों के शरीर पर प्रकट रहते हैं, और जब देवों के शयन का समय हो जाता है, तब ये धब्बे गायब हो जाते हैं। इसके बाद इन गायों के शरीर का रंग पूरी तरह सफेद हो जाता है।
कृष्ण की माया
इसकी धार्मिक व्याख्या है कि जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया, तब भगवान शंकर यह देखना चाहते थे कि कृष्ण रथ से स्वयं पहले उतरते हैं, या वे अर्जुन को रथ से उतरने के लिए कहते हैं। युद्ध में अनेक दिव्य शक्तियों ने हिस्सा लिया था। उनमें से अनेक शक्तियों के विनाश के कारण पूरा वातावरण बहुत असुरक्षित हो गया था। ऐसे में यदि अर्जुन रथ से पहले उतरते तो उनका तत्काल ही विनाश हो सकता था। यही कारण है कि रथ से सबसे पहले कृष्ण स्वयं उतरे और बाद में अर्जुन को रथ से उतरने के लिए कहा। भगवान शंकर यह दृश्य देखना चाहते थे, लेकिन कृष्ण के द्वारा माया रचने के कारण वे ऐसा होते हुए नहीं देख पाए।
लक्ष्मण रेखा गाय
एक गाय विशेष प्रजाति की है, जिसके पीठ के सबसे अंतिम हिस्से में पूंछ से कुछ ऊपर एक रेखा जैसी आकृति उभरी होती है। कुछ लोग इसे लक्ष्मण रेखा तो कुछ तिलक कहते हैं। लक्ष्मण रेखा के नीचे दाएं-बाएं चक्र जैसी आकृति बनी हुई है। सीता के अपहरण के बाद जब जटायु ने भगवान राम को सीता के बारे में बताया था, तब उन्होंने यही व्याख्या की थी कि सीता के मस्तक पर इस तरह का तिलक देखा था जो रघुकुल में लगाया जाता है। उसी प्रतीक रूप को लिए ये गायें भगवान को भेंट की जाएंगी।
अर्धनारीश्वर गाय
दान दी जाने वाली गायों में अर्धनारीश्वर गाय भी है। प्राकृतिक रूप से इन गायों की एक आंख की भौंह सफेद और दूसरे आंख की भौंह काली होती है। इनके अंदर भगवान शिव की तरह पुरुष और स्त्री दोनों के अंश होने की बात मानी जाती है।