झारखंड के कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरने से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम उनके घर पर पूछताछ कर रही है. इस मामले में ईडी ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है जिसमें हेमंत सोरेन के करीबी भी शामिल हैं. इससे पहले हेमंत सोरेन को ईडी ने कई समन जारी किए.
ईडी उनके दिल्ली स्थिति आवास पर पहुंची थी लेकिन वो वहां पर नहीं मिले और कई घंटों तक गायब रहने के बाद अचानक से रांची में प्रकट हुए. इसके बाद ईडी की टीम रांची पहुंचकर उनसे पूछताछ कर रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए रांची के अंदर धारा 144 लागू की गई है. सीएम हाउस में डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी पहुंच गए हैं.
ऐसे में दो तरह की आशंकाएं लगाई जा रही हैं. पहली तो ये कि ईडी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है और दूसरी ये कि वो अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं. अगर वो अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तब तो वो एक विधायक रह जाएंगे लेकिन अगर वो अपने सीएम पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के कुछ कायदे कानून हैं जिन्हें फॉलो करना होता है.
मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के नियम
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कोई भी आरोपी दोष सिद्ध होने के बाद दोषी हो जाता है. ऐसे में उसकी गिरफ्तारी सिविल और क्रिमिनल दोनों ही मामलों में होती है. वहीं, अगर मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की बात आती है तो इसको लेकर अलग नियम है. कोड ऑफ सिविल प्रोसेड्यूर के तहत मुख्यमंत्री के संबंध में अलग प्रावधान किए गए हैं, जिसमें विशेष स्थिति में गिरफ्तारी के नियम हैं.
Code of Civil Procedure 135 के तहत किसी भी मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तारी में छूट दी गई है. हालांकि ये छूट सिर्फ सिविल मामलों को लेकर है. अगर किसी सीएम पर कोई क्रिमिनल मामला हो जाता है तो ये छूट लागू नहीं होती और क्रिमिनल केस के तहत गिरफ्तारी हो सकती है.
फिर भी लेनी होगी परमिशन
अगर किसी मुख्यमंत्री की क्रिमिनल केस में गिरफ्तारी होनी है तो उससे पहले सदन के अध्यक्ष से मंजूरी लेनी होगी. कुल मिलाकर विधानसभा अध्यक्ष की परमिशन के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है. इतना ही नहीं इसके लिए दिनों का भी नियम बना हुआ है.
और क्या है वो नियम?
Code of Civil Procedure 135 के तहत अगर विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है तो इसके शुरू होने के 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. साथ ही मुख्यमंत्री को सदन के अंदर से भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.