उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विनम्रता के साथ मिलना चर्चा का विषय बन गया. सोशल मीडिया पर बकायदा चर्चा छिड़ गई है कि नीतीश कुमार को अब अपनी स्थिति का पता चल गया है. कुछ लोगों ने नीतीश कुमार के विनम्रता के साथ मिलने को लेकर तरह-तरह के मीम बनाए हैं. हालांकि, सीएम नीतीश का इस तरह पीएम से मिलना सियासी बड़प्पन दिखाता है.
इधर, बिहार में VIP के तीन विधायकों का पलटी मारना और उसके बाद पार्टी के एकमात्र नेता और मंत्री मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने का फरमान जारी करना, एक नया सियासी विवाद बन गया है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के प्रेशर से इन दिनों परेशान हैं और खुलकर फैसले नहीं ले पा रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी इन दिनों बड़ी पार्टी हो जाने के बाद से बेहद आक्रामक है.
सहनी पर कार्रवाई से खुद को दूर दिखा रही JDU जदयू के कई नेताओं ने यहां तक कह दिया था कि सहनी मंत्रिमंडल में बने रहेंगे, लेकिन इन सबके बावजूद आखिरकार बीजेपी के दबाव के साथ-साथ अनुशंसा ने मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया. नीतीश कुमार को बीजेपी के दबाव में फैसला लेना पड़ा. जदयू के नेता अब चुप हैं.
एनडीए का हिस्सा नहीं है सहनी- भाजपा
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि नीतीश कुमार किसी की दबाव की राजनीति नहीं बर्दाश्त करते हैं. उनका रिकॉर्ड देखा जा सकता है. मुकेश सहनी बीजेपी कोटे से मंत्री बने थे. अब बीजेपी मुकेश सहनी से नाराज है, उन्हें अपने कोटे से मंत्री नहीं रखना चाहती है तो मुख्यमंत्री से मुकेश को हटाने की अनुशंशा की. मुख्यमंत्री ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए उसे राज्यपाल को भेज दिया. इसमें गलत क्या है?. वहीं बीजेपी के नेता कहते हैं कि ये आरोप गलत है कि नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में हैं. ऐसा कुछ भी नहीं हैं. मुकेश सहनी अपने कर्म का फल भुगल रहे हैं, उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. अब वे एनडीए का हिस्सा नहीं हैं.