यूपीएससी परीक्षा पास करना किसी भी तरह से आसान नहीं कहा जा सकता है। आईएएस और आईपीएस की नौकरी करके जितना रुतबा हासिल किया जाता है, उतनी ही कठिन है यूपीएससी की परीक्षा पास करना। इस परीक्षा को पास करना हर किसी के बस की बात नहीं है। इस परीक्षा को पास करने के लिए हर कोई संघर्ष करता है। जीतोड़ मेहनत करता है। आज की कहानी भी एक ऐसी ही संघर्ष की है।
हम बात कर रहे हैं हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली पूनम दलाल दहिया की। जिन्होंने नौवे महीने के दर्द में भी परीक्षा दी और सफलता हासिल की। पूनम के सिर पर यूपीएससी परीक्षा थी और पेट में उनका बच्चा भी पल रहा था, इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत रखी और हौसला नहीं छोड़ा। पूनम दलाल देश की उन हजारों महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है, जोकि जरा सी मुश्किल आते ही हौंसला छोड़ देती हैं। लेकिन पूनम ने अपने जज्बे और हौंसले को कभी कम नहीं किया।
पूनम ने 21 साल की उम्र में ही एमसीडी के स्कूल में टीचर की नौकरी हासिल की थी। इस दौरान ग्रेजुएशन करते हुए पूनम ने बैंक पीओ की परीक्षा दी, जिसमें वह पास हो गई। इस परीक्षा के पास होने पर पूनम ने टीर की नौकरी छोड़कर बैंक में काम शुरू कर दिया। इस नौकरी के साथ ही उन्होंने अपनी किस्मत और हौंसले के बल परी एसएससी की परीक्षा दी, जिसमें उनक देश भर में सातवीं रैंक आई। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी करने की ठानी। 28 साल की उम्र में पूनम ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी। जिसमें वह पास हो तो गई, लेकिन मनचाही रैंक नहीं मिल पाई।
पहली बार यूपीएससी करने के बाद पूनम को रेलवे में आरपीएफ की रैंक मिली, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया और दोबारा से यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी। दूसरी बार भी उन्हें पास होने पर कम रैंक के चलते रेलवे ही मिला। उन्होंने स्वीकार करने की बजाए तीसरी बार तैयारी करना बेहतर समझा। मगर तीसरी बार में उनके साथ किस्मत ने खूब मजाक किया। यूपीएससी में जनरल श्रेणी के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 साल थी। पूनम ने जब तीसरी बार परीक्षा दी तो उनकी उम्र तय सीमा से पार हो गई थी। यह साल 2011 की बात है और पूनम का प्रीलिम्स क्लियर नहीं हुआ था। तब उम्र सीमा के चलते पूनम की यूपीएससी की यात्रा वहीं समाप्त हो गई थी।
लेकिन कहते हैं कुदरत के सामने किसी का बस नहीं चलता। किस्मत में लिखा हुआ कोई काट नहीं सकता। कुछ सालों बाद सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी हुआ, जिसके जरिए घोषणा की गई कि जिस कैंडिडेटस ने साल 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी है, उसे इस परीक्षा को पास करने के लिए एक और अवसर प्रदान किया जा रहा है। पूनम ने इस अवसर को हाथ से ना जाने देने की ठान ली थी।
इस वक्त पूनम गर्भवती थी और नौंवा महीना चल रहा था। इसके बावजूद उन्होंने बिना थके और हार माने प्रीलिम्स की परीक्षा दी। इसके बाद जब मेन्स का पेपर आया तो उनका बेटा ढाई महीने का हो चुका था। लेकिन इस बार जब पूनम का रिजल्ट आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 2015 में, उन्होंने IAS परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक 308 प्राप्त की।
UPSC टॉपर पूनम दलाल का बैकग्राउंड पूनम दलाल दिल्ली में पली-बढ़ी हैं, लेकिन उनकी पुश्तैनी जड़ें हरियाणा के झज्जर जिले के छरा गांव में हैं। उनका करियर दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के रूप में शुरू हुआ। इस समय के दौरान उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एक बाहरी छात्र के रूप में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
पूनम दलाल की कहानी साबित करती है कि उम्र, वैवाहिक स्थिति, मातृत्व और पूर्णकालिक नौकरी केवल बहाने हैं, असफलता के कारण नहीं। इंसान चाहे तो मेहनत करके अपनी किस्मत बदल सकता है।